भारत

ड्रोन विमानों के लिए तैयार की नई तकनीक, स्पेसक्राफ्ट और सैटेलाइट में आग के अध्ययन में मिलेगी मदद

Deepa Sahu
27 Jun 2021 3:03 PM GMT
ड्रोन विमानों के लिए तैयार की नई तकनीक, स्पेसक्राफ्ट और सैटेलाइट में आग के अध्ययन में मिलेगी मदद
x
IIT मद्रास के रिसर्चर्स ने ड्रोन विमानों के लिए एक ऐसी तकनीक विकसित की है,

IIT मद्रास के रिसर्चर्स ने ड्रोन विमानों के लिए एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसके जरिए अंतरिक्ष स्टेशनों, अंतरिक्ष यान और उपग्रहों में आग के स्वरूप का अध्ययन करने में मदद मिलेगी. रिसर्चर्स की टीम के मुताबिक, एक मल्टीरोटर माइक्रोग्रैविटी प्लेटफॉर्म की मदद से चंद्रमा और मंगल के समान कम-गुरुत्वाकर्षण वातावरण जैसी परिस्थिति पृथ्वी पर भी विकसित की जा सकती है, ताकि वैज्ञानिक प्रयोग आसानी से किए जा सकें.

रिसर्चर्स की टीम का कहना है कि मौजूदा समय में माइक्रोग्रैविटी (ऐसी परिस्थिति जहां गुरुत्वाकर्षण बल शून्य के करीब हो) जैसी स्थिति केवल अंतरिक्ष स्टेशनों, उपग्रहों, अंतरिक्ष यानों, रॉकेटों और ड्रॉप टावर्स के जरिए ही पैदा की जा सकती है. ऐसी सुविधाएं भारत के अधिकतर शैक्षणिक संस्थानों की पहुंच से बहुत दूर हैं.
आईआईटी मद्रास के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग में रिसर्च स्कॉलर केदारिसेट्टी सिद्धार्थ ने पीटीआई से कहा, "धरती पर माइक्रोग्रैविटी जैसी स्थिति पैदा करने का एक और तरीका यह है कि इसके लिए 'फ्री-फॉल' फ्लाइट का उपयोग किया जाएगा. रॉकेटों का मुक्त रूप से गिरना और अधिक ऊंचाई वाले गुब्बारों और ड्रॉप टावरों से किसी वस्तु का मुक्त रूप से गिरना भी माइक्रोग्रैविटी जैसी स्थिति पैदा कर सकता है."
आईआईटी मद्रास के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी पद्धति विकसित की है जो मल्टीरोटर मानवरहित आकाशीय विमान (UAV) जैसे कि क्वाड्रोटर्स या ड्रोन को सटीक रूप से नियंत्रित कर सकता है. टीम की ओर से की गई यह रिसर्च एयरोस्पेस सिस्टम्स, एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, और माइक्रोग्रैविटी साइंस एंड टेक्नोलॉजी जैसी प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुका है.
Next Story