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गुजरात में नया रिकॉर्ड, भारत में पहली बार 20 दिनों में तैयार हो रहा है फ्लाई ओवर
Apurva Srivastav
13 Jun 2021 5:41 PM GMT
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भारत में पहली बार एक फ्लाई ओवर 20 दिनों में बन कर तैयार हो रहा है
भारत में पहली बार एक फ्लाई ओवर 20 दिनों में बन कर तैयार हो रहा है. यह फ्लाई ओवर गुजरात के वलसाड में बन रहा है. अब तक फ्लाई ओवर का 75 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. आने वाले 22 जून तक यह पुल बन कर तैयार हो जाएगा. फिलहाल इस ब्रिज के आस-पास के यातायात को बंद रखा गया है ताकि रिकॉर्ड समय में फ्लाइ ओवर का काम पूरा हो सके. 22 जून के बाद से यातायात फिर से शुरू हो जाएगा. इस प्रोजेक्ट के लिए 4.5 करोड़ रुपए का खर्च आया है.
वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (WDFC) के अधिकारियों के मुताबिक पिछले 2 जून से इस फ्लाई ओवर के निर्माण का काम शुरू हुआ. अब तक एक हफ्ते में फ्लाई ओवर का काम 75 प्रतिशत तक पूरा हो गया है. WDFC के अधिकारियों का दावा है कि वे यह काम 20 दिनों में पूरा कर दिखाएंगे. अधिकारियों ने इस फ्लाई ओवर को बनाने में सरकार की ओर से दिए गए सहयोग और मदद के लिए उनका आभार माना है. वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (WDFC) के जनरल मैनेजर श्याम सिंह का कहना है कि सरकार ने 20 दिनों तक इस ओर से यातायात बिल्कुल रोक दिया है, ताकि काम पूरा करने में कोई दिक्कत ना आए. इससे काम को पूरा करने में अब तक कहीं कोई रुकावट नहीं आई.
100 दिनों का काम 20 दिनों में
आम तौर पर ऐसे फ्लाई ओवर को बन कर तैयार होने में काफी वक्त लगा करता है. नॉन स्टॉप काम भी किया जाए तो 100 दिन तो लगते ही हैं. गुजरात में वलसाड के जिस रास्ते पर यह फ्लाई ओवर बनाया जा रहा है, वो रास्ता वलसाड पूर्व को वलसाड पश्चिम से जोड़ता है. ऐसे में यहां 20 दिनों तक यातायात रोकना बेहद मुश्किल सा काम था. उस पर 20 दिनों में फ्लाई ओवर तैयार करना तो और भी ज्यादा मुश्किल काम है. लेकिन यह काम अपने डेडलाइन में खत्म होगा. इसका पूरा इत्मिनान है.
कामों को अंजाम ऐसे दिया गया
यह पुल बनाने की जिम्मेदारी कोरोना काल में ली गई. कच्चे माल मिलने की समस्या, मजदूर मिलने की समस्या और भी कई समस्याएं आने की आशंका थी. लेकिन सही नीयत, नीति और निष्ठा से काम शुरू किया गया. पहले प्राधिकरण ने ऐसी योजना बनाई कि पुल के कुछ भाग अलग-अलग तैयार किए जाएं और उन्हें यहां एक-दूसरे से जोड़ा जाए.
ऐसे अलग-अलग हिस्सों को जोड़ने के लिए 4 हेवी ड्यूटी हायड्रॉलिक क्रेनों के इस्तेमाल में लाया गया. इन क्रेनों की क्षमता 300 मेट्रिक टन से 500 मेट्रिक टन थी जो इन बड़े-बड़े हिस्सों को उठाने में सक्षम थे. इसके बाद इन्हें एक दूसरे से जोड़ते हुए पुल का 75 प्रतिशत काम पूरा किया गया है. बाकी काम भी तय समय पर पूरा हो जाएगा और रिकॉर्ड समय में यह फ्लाई ओवर बन कर तैयार हो जाएगा
Apurva Srivastav
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