रायपुर/दिल्ली। मंहगे पेट्रोल-डीजल की मार झेल रही आम जनता को अब सड़क पर चलने के लिए भी अधिक जेब ढीली करनी होगी। देशभर के टोल प्लाजा पर शुक्रवार आधी रात से टोल टैक्स की दरें बढ़ने जा रही हैं। सरकार ने टोल टैक्स को थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) से संबद्ध किया हुआ है। इसलिए राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रियों के लिए किसी प्रकार की सुविधा बढ़ाए बगैर हर साल टोल टैक्स में 8 से 12 फीसदी की वृद्धि हो रही है।
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के क्षेत्रीय अधिकारी (आरओ) पृथक राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं (टोल रोड) की टोल दरों में वृद्धि के लिए अधिसूचना जारी करते हैं। विभाग डब्ल्यूपीआई के अनुपात में टोल दरों में बढ़ोतरी करता है। इस हिसाब से शुक्रवार रात 12 बजे से टोल कंपनियां 8 से 12 फीसदी तक टोल की बढ़ी दरें लागू कर देंगी। इसमें निजी व व्यासायिक वाहनों की टैक्स की दरें अलग होती हैं। यह बढ़ी हुई दरें 10 रुपये से लेकर 40 रुपये तक हो सकती हैं। देशभर मे 816 टोल प्लाजा हैं।
जानकार सरकार के टोल टैक्स को डब्ल्यूपीआई से जोड़ने की नीति को गलत मानते हैं। उनका मानना है कि डब्ल्यूपीआई का संबंध मंहगाई से है। लेकिन सालभर में राजमार्ग कैसे मंहगे हो सकते हैं। इसके अलावा हर साल वाहनों की बिक्री में 10-12 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है। टोल की दरें राजमार्ग परियोजना की लागत और उस पर प्रतिदिन चलाने वाले ट्रैफिक से होने वाली आय के हिसाब से तय होती है। तकनीकी पहलू यह है कि वाहनों की संख्या बढ़ने के साथ टोल की दरें कम होनी चाहिए। इसी प्रकार नियम है कि परियोाजना की लागत वसूलने के बाद टैक्स में 40 फीसदी की छूट मिलनी चाहिए। बड़ी संख्या में ऐसी राजमार्ग परियोजनाएं हैं, जिनकी लागत टोल कंपनियां वसूल चुकी हैं। लेकिन सड़क यात्रियों को रियायत नहीं दी जा रही है।