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चीन से तनाव के बाद केंद्र सरकार की लेह-लद्दाख बार्डर तक तेजी से रेल और रोड कनेक्टिविटी बनाना सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है। इसके मद्देनजर एशिया की सबसे लंबी और ऊंचाई पर स्थिति जोजिला टनल के सामानांतर नई रेल और रोड टनल (जोजिला फेस-2) बनाने का प्रस्ताव है। जोजिला टनल फेस-2 को बनाने का मकसद आपातकाल स्थिति में सड़क यातायात बंद कर सिर्फ सेना के लिए ट्रेन चलाई जाएंगी। जिससे बार्डर पर सैन्य वाहन, रसद, टैंक आदि त्वरित गति से पहुंचाए जा सके। यह संभवत: देश की पहली टनल होगी जिसमें रेलवे ट्रैक पर ट्रेन और सड़क पर वाहन चलेंगे।
बतातें हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने लेह-लद्दाख बार्डर कनेक्टिविटी के लिए टनल में ही रोड़ के साथ रेलवे ट्रैक बनाने के विकल्प पर काम करने का सुझाव दिया था। इसके पश्चात सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के सचिव गिरधर अरमाने के समक्ष राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना एवं विकास निगम लिमिटेड (एनएचएआईडीसीएल) की ओर से जोजिला टनल फेज-2 को लेकर प्रस्तुतिकरण पेश किया जा चुका है। इसमें दो विकल्प रखे गए हैं। पहला टनल में सिर्फ रेलवे ट्रैक बनाने, जबकि दूसरा रेल और रोड़ टनल दोनों का निर्माण करना
इस बैठक में विभाग ने बताया कि रेलवे की श्रीनगर-लेह के बीच ट्रैक बनाने की योजना नहीं है। रेलवे हिमाचल के मनाली-लेह वाया बिलासपुर रेलवे ट्रैक बनाने पर विचार कर रहा है। इस रूट पर रेलवे 40 से अधिक रेल टनल बनाई जाएगी। जिस पर काफी खर्चा आएगा। गिरधर ने एनएचएआईडीसीएल के शीर्ष अधिकारियों से जम्मू-श्रीनगर-कारगिल-लेह परियोजना शुरू करने को लेकर रेल मंत्रालय से बात करने के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों ने बताया कि रेल मंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद उक्त परियोजना पर काम शुरू कर दिया जाएगा। इस बाबत एनएचएआईडीसीएल ने अगस्त माह में जोजिला फेस-2 को जल्द शुरू कराने के लिए सड़क परिवहन मंत्रालय को पत्र लिखा है। इसमें उल्लेख है कि निर्माणाधीन जोजिला टनल सिग्नल ट्यूब है।
सुरक्षा की दृष्टि से यह ठीक नहीं है, संकट में यात्रियों को निकालने में दिक्कत होगी। इसलिए सामानांतर नई टनल बनाना अनिवार्य है। इससे श्रीनगर-लेह के बीच रोड कनेक्टिविटी सालभर बनी रहेगी। जिससे लेह-लद्दाख में सशस्त्र बलों व रसद वाहनों की आवाजाही बर्फबारी में भी बनी रहेगी। वर्तमान में सर्दियों में बर्फबारी होने के कारण लेह-लद्दाख छह महीने तक श्रीनगर से पूरी तरह से कट जाता है।
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