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Uttarakhand: उत्तराखंड में नई खनन नियमावली लागू, पट्टों के आवेदन और नवीनीकरण का शुल्क बढ़ा

jantaserishta.com
27 Jun 2023 7:51 AM GMT
Uttarakhand: उत्तराखंड में नई खनन नियमावली लागू, पट्टों के आवेदन और नवीनीकरण का शुल्क बढ़ा
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देहरादून: पिछले माह उत्तराखंड कैबिनेट की बैठक में खनन नियमावली में संशोधनों को मंजूरी दी गई थी। संशोधनों के तहत खनन पट्टों की जांच, आकलन व सीमांकन करने के लिए अब एसडीएम की गैरहाजिरी में तहसीलदार या उपतहसीलदार भी अधिकृत होंगे। इसके लिए उन्हें खनन निदेशालय से एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड उपखनिज (परिहार) नियमावली की राजपत्रित अधिसूचना जारी कर दी है।
नियमावली में अवैध खनन पर लगाए जाने वाले जुर्माने की राशि को घटा दिया गया है, जबकि मैदानी जिलों में नदी तल के खनन पट्टों के आवेदन व नवीनीकरण शुल्क को एक लाख से बढ़ाकर दो लाख कर दिया गया है। सचिव (औद्योगिक विकास) डॉ. पंकज कुमार पांडेय ने यह अधिसूचना जारी की। अभी तक अवैध खनन पर पांच गुना जुर्माने का प्रावधान था। लेकिन यह आसानी से अदा नहीं हो रहा था और ऐसे प्रकरण न्यायालय में जाकर लंबे खिंच रहे थे।
संशोधनों के तहत खनन पट्टों की जांच, आकलन व सीमांकन करने के लिए अब एसडीएम की गैरहाजिरी में तहसीलदार या उपतहसीलदार भी अधिकृत होंगे। इसके लिए उन्हें खनन निदेशालय से एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाएगा। नए संशोधन के मुताबिक, पांच हेक्टेयर के पट्टे के लिए पांच साल और पांच हेक्टेयर से अधिक के पट्टों के लिए 10 वर्ष तय की गई है। अब खनन पट्टों को ट्रांसफर करने पर सरकार शुल्क वसूलेगी। पांच हेक्टेयर के पट्टे पर दो लाख रुपये और पांच हेक्टेयर से अधिक के पट्टे पर पांच लाख रुपये शुल्क लगेगा।
फर्म के किसी सदस्य को बदलने पर भी दो लाख रुपये शुल्क लगेगा। अभी तक खनन पट्टों के आशय पत्र शासन स्तर से आवंटित होते थे। लेकिन अब यह अधिकार महानिदेशक खनन को दे दिया गया है। अनुमति मिलने के बाद ही पट्टे की अवधि शुरू होगी। अवैध खनन करने वालों से पांच गुना जुर्माना वसूलने के बजाय अब इसे घटाकर दो गुना कर दिया गया है। दूसरी बार पकड़े जाने पर यह तीन गुना होगा और इसके बाद यह तीन गुना ही रहेगा। अपील व पुनर्निरीक्षण शुल्क को पांच लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया है। खनन पट्टे की सबसे ऊंची बोली लगाने वाले निविदादाता को 15 दिन में कुल रायल्टी की 25 प्रतिशत धनराशि 15 दिन के भीतर जमा करानी होगी। यदि ऐसा करने में वह नाकाम रहा तो दूसरी सबसे अधिक बोलीदाता को उसी निविदा दर पर पट्टा मिलेगा। यदि वह भी तय अवधि में रायल्टी का भुगतान नहीं करता है तो तीसरी सबसे अधिक बोली लगाने वाले को यह अवसर मिलेगा। यदि वह भी शर्त पूरी नहीं कर पाता है तो ऐसी स्थिति में निविदा रद्द कर नए सिरे से ई निविदा बुलाई जाएगी, जिसमें सबसे अधिक बोली लगाने वाले (एच-1 ) को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा और उसकी जमानत राशि भी जब्त कर ली जाएगी।
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