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कोरोना के इलाज को लेकर सरकार की नई गाइडलाइंस जारी,'लगातार खांसी है तो टीबी की जांच कराएं'

Kunti Dhruw
18 Jan 2022 8:53 AM GMT
कोरोना के इलाज को लेकर सरकार की नई गाइडलाइंस जारी,लगातार खांसी है तो टीबी की जांच कराएं
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देश में तेजी से फैल रहे कोरोना (Covid-19) और उसके ओमिक्रॉन वेर‍िएंट (Omicron Variant) के इलाज के लिए केंद्र सरकार ने सोमवार को अपनी क्लिनिकल गाइडलाइंस में संशोधन किया.

देश में तेजी से फैल रहे कोरोना (Covid-19) और उसके ओमिक्रॉन वेर‍िएंट (Omicron Variant) के इलाज के लिए केंद्र सरकार ने सोमवार को अपनी क्लिनिकल गाइडलाइंस में संशोधन किया. इस गाइडलाइंस (Covid Guidelines) में सरकार ने डॉक्‍टरों को कोव‍िड संक्रमित लोगों को स्‍टेरॉयड देने से बचने की सलाह दी है. नई गाइडलाइंंस में कोरोना के हल्के, मध्यम और गंभीर लक्षणों के लिए अलग-अलग दवाइयों की डोज लेने की सलाह दी गई है. साथ ही, यह भी कहा गया है कि अगर किसी को लगातार खांसी आ रही है या दो-तीन हफ्तों से ठीक नहीं हो रही है, तो उसे ट्यूबरक्यूलोसिस (टीबी) या ऐसी ही किसी दूसरी बीमारी के लिए टेस्ट कराना चाहिए.

इस गाइडलाइंस में कहा गया है कि स्टेरॉयड्स वाले ड्रग्स अगर जरूरत से पहले या ज्यादा डोज में इस्तेमाल किए जाएं तो इनसे म्यूकरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस जैसे सेकेंडरी इन्फेक्शन का डर बढ़ता है. ऐसा स्‍टेरॉयड के जरूरत से ज्यादा वक्त तक इस्‍तेमाल करने से भी होता है. सरकार का यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब अभी कुछ दिनों पहले ही कोव‍िड टास्क फोर्स के प्रमुख वीके पॉल ने कोरोना की दूसरी लहर में स्टेरॉयड्स दवाओं के ओवरयूज और मिसयूज होने को लेकर अफसोस जताया था.
सांस लेने में द‍िक्‍कत न होने पर होम आइसोलेशन
गाइडलाइंस के मुताब‍िक, ऊपरी श्वास नली में कोविड के लक्षण उत्पन्न होते हैं और मरीज को सांस लेने में दिक्कत या हाइपॉक्सिया जैसी दिक्कत नहीं है तो इसे हल्के लक्षणों में रखा जाता है और उसे होम आइसोलेशन में ही इलाज की सलाह दी गई है. वहीं, अगर किसी मरीज में ऑक्सीजन सैचुरेशन 90 से 93 परसेंट के बीच में फ्ल्क्चुएट कर रहा है और उन्हें सांस लेने में दिक्कत आ रही है और तेज बुखार है तो उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती होना चाहिए. ये मध्यम लक्षण हैं और ऐसे मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट देना चाहिए.
ऐसे लक्षण हैं तो गंभीर है मरीज की स्थि‍त‍ि
इसके अलावा गाइडलाइंस में कहा गया है कि अगर किसी मरीज में रेस्पिरेटरी रेट 30 प्रति मिनट से ऊपर है, सांस लेने में दिक्कत आ रही है और ऑक्सीजन सैचुरेशन कमरे के तापमान से 90 फीसदी नीचे है तो इसे गंभीर लक्षण में रखा जाएगा और मरीज को आईसीयू में भर्ती किया जाना चाहिए क्योंकि उन्हें रेस्पिरेटरी सपोर्ट की जरूरत होगी.
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