बिहार में अफसरों के रवैये से परेशान नेता जी को अब कुछ सहूलियतें मिलने वाली हैं. जी हां, बिहार विधानसभा ने प्रदेश के ब्यूरोक्रेट्स के लिए नई गाइडलाइन जारी कर दी है. इसके तहत अफसरों को साफ शब्दों में निर्देश दिया गया है कि वे सांसदों और विधायकों के साथ ठीक से व्यवहार करें. सरकारी दफ्तर में सांसद और विधायक के आते ही अफसरों को उनके सम्मान में खड़ा होना होगा. यह सब बिहार विधानसभा में विधायकों द्वारा बिहार के ब्यूरोक्रेट्स के रवैये पर उठाए गए सवाल के बाद विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के निर्देश का असर माना जा रहा है.
बिहार सरकार ने जनप्रतिनिधियों सांसदों और विधायकों के साथ ठीक से व्यवहार करने को लेकर गाइडलाइन जारी किया है. विधायकों और सांसदों के साथ ब्यूरोक्रेट्स को कैसा व्यवहार करना है, इस बारे में यह गाइडलाइन काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. विधानसभा के बजट सत्र के दौरान ब्यूरोक्रेट्स के रवैये पर कई सवाल उठे थे. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने निर्देश दिए थे. इसके बरक्स ही अफसरों को अपने व्यवहार में सकारात्मक रुख लाने की हिदायत दी गई है.
संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने राज्य के डीजीपी एसके सिंघल के अलावा सभी विभागों के प्रधान सचिव, जिलों के डीएम और एसपी को पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि जनप्रतिनिधियों के सरकारी कार्यालय में पहुंचने के दौरान अधिकारियों को उनके सम्मान में खड़ा हो जाना चाहिए. साथ ही उनकी समस्याओं के समाधान के लिए गंभीरता से पहल करनी चाहिए. गाइडलाइन में इस बात की चर्चा की गई है कि कुछ अधिकारियों का व्यवहार सही नहीं होता है, जिससे विकास कार्य प्रभावित होते हैं. अधिकारियों को इस तरह के व्यवहार से बचना चाहिए.
ये है गाइडलाइन की प्रमुख बातें
- जनप्रतिनिधियों से बात करते समय ब्यूरोक्रेट्स को धैर्य से उनकी बातों को सुनकर सम्मान पूर्वक उसका समाधान खोजना चाहिए.
- जनप्रतिनिधि से मुलाकात करते समय अगर समय में परिवर्तन होता है, तो इसकी भी जानकारी जनप्रतिनिधियों को निश्चित तौर पर दी जाए.
- अगर कोई जनप्रतिनिधि कार्यालय आता है तब आवश्यकतानुसार उनके लिए वाहन की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए.
- सार्वजनिक समारोहों में जनप्रतिनिधियों को निश्चित तौर पर आमंत्रित करें और उनके लिए मंच पर बैठने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए.
- अगर कोई जनप्रतिनिधि किसी तरह की जानकारी मांगे तो उसे शीघ्रता से देने की कोशिश होनी चाहिए और यदि ऐसा संभव नहीं हो तो उन्हें सम्मानपूर्वक सूचित किया जाना चाहिए.
- जनप्रतिनिधि जिस भाषा में जानकारी लेना चाहें, उसी भाषा में उन्हें जानकारी दी जानी चाहिए.