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दिल्ली में कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने में नया कचरा बन रहा मुसीबत

Teja
19 Feb 2023 1:29 PM GMT
दिल्ली में कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने में नया कचरा बन रहा मुसीबत
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में ठोस कचरा प्रबंधन उप नियम 2017 को अधिसूचित हुए पांच साल का समय बीत चुका है लेकिन इसे लागू करने में स्थानीय निकाय अब भी पूरी तरह से सफल नहीं हो पाए हैं। यही वजह है कि दिल्ली में प्रतिदिन घरों से निकलकर कचरा कूड़े के पहाड़ों की ऊंचाई बढ़ा रहा है। जबकि नियमों के तहत लैंडफिल साइट पर कचरा डालना पूरी तरह से बंद करना था। साथ ही नए कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करना था। आलम यह है कि दिल्ली में प्रतिदिन 11000 टन नया कचरा निकलता है।

4200 टन कचरे को आज भी कूड़े के पहाड़ पर डाला जा रहा है। इससे निगम के उन प्रयासों को उस गति से सफलता नहीं मिल पा रही है जिस गति से इन कूड़े के पहाड़ों को खत्म करना है। दिल्ली में एक ओर निगम कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने के लिए लैंडफिल साइटों पर करोडों रुपये खर्च कर वहां पर ट्रामल मशीनों से वर्षों से पड़े कचरे को निस्तारित कर रहा है। वहीं प्रतिदिन नया कचरा इन कोशिशों में स्पीड ब्रेकर (अवरोधक) बन रहा है। निगम के अनुसार 11 हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन निकलने वाले कचरे में 8213 मीट्रिक टन कचरे को विभिन्न माध्यमों से निस्तारित किया जाता है। इसमें से 557 टन गीले कचरे को खाद बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। 256 टन मैटीरियल रिकवरी सेंटर (एमआरएफ) सेंटर पर जाता है। 7400 मीट्रिक टन कचरे को कूड़े से बिजली बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।

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