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भारत को ज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक महाशक्ति के रूप में बदल देगी नई शिक्षा नीति : केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान

Nilmani Pal
1 Sep 2021 4:31 PM GMT
भारत को ज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक महाशक्ति के रूप में बदल देगी नई शिक्षा नीति : केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान
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फाइल फोटो 

केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 भारत को ज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक महाशक्ति के रूप में बदल देगी। प्रधान राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (एनसीईआरटी) के 61वें स्थापना दिवस समारोह को को संबोधित करते हुए बुधवार को कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 भारत को ज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक महाशक्ति के रूप में बदल देगी। उन्होंने एनसीईआरटी को बधाई दी और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने की दिशा में उनके द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने महामारी के दौरान स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा से लेकर पढ़ने-पढ़ाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर तैयार करने तक की एनसीईआरटी की यात्रा को रेखांकित करते हुए कहा कि एनसीईआरटी को नई शिक्षा नीति में की गई परिकल्पना के अनुरूप शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर परिवर्तन लाने के लिए कमर कस लेनी चाहिए।

केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने अनुसंधान, विकास और प्रशिक्षण के संसाधन केंद्र के रूप में एनसीईआरटी की शानदार यादगार सेवा की सराहना करते हुए कहा कि निष्ठा पहल के तहत 42 लाख शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत और कौशल भारत के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए व्यावसायिक और शैक्षणिक शिक्षा के समेकन की भूमिका पर बल दिया। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. राज कुमार रंजन सिंह ने कहा कि यह स्थापना दिवस अतीत को यादकर खुश होने, आत्म निरीक्षण करने और भविष्य की योजना बनाने का अवसर है। उन्होंने मनोरंजक दंतकथाओं के माध्यम से एनसीईआरटी द्वारा सामग्री की नियमित समीक्षा करने और परिस्थितियों को अपनाने/उसके अनुकूल ढलने संबंधी उसके लचीलेपन की सराहना की, जोकि सीखने की प्रक्रिया के क्रम में होने वाली खुशियों को और बढ़ाते हैं। अपने स्कूली दिनों के दौरान सामूहिक रूप से स्कूल परिसर की सफाई करने से जुड़े प्रसंगों को याद करते हुए, उन्होंने आशा व्यक्त की कि नए पाठ्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थियोंमें स्कूलों के प्रति अपनेपन की भावना पैदा होगी। यह स्वस्थ भारत कार्यक्रम की अवधारणा को भी मजबूत करेगा।


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