आरोपी नाबालिग बेटे ने सीडब्ल्यूसी की पूछताछ में बताया, ''जब पापा नहीं होते थे, तब मम्मी से मिलने प्रॉपर्टी डीलर वाले अंकल आते थे. यह देखकर मुझे बहुत बुरा लगता था. मैंने इस बात की शिकायत एक दिन पापा से कर दी. जिसके बाद पापा और मम्मी के बीच जमकर लड़ाई हुई. इसके बाद मम्मी ने मुझे खूब मारा. तभी से मेरे मन में अंदर से गुस्सा भरा था.''
''प्रॉपर्टी डीलर अंकल एक दिन घर डिनर पर आए. यह मुझे नागवार गुजरा. मैंने खाना नहीं खाया. जिसकी शिकायत मैं फिर पापा से की. इसकी वजह से मां ने मेरा फोन छीन लिया था और जमकर मेरी पिटाई की. पापा से मैंने कहा कि मुझे यह सब पसंद नहीं है. तो पापा ने कहा, 'मैं होता तो पिस्टल उठाकर गोली मार देता.' बेटे ने सुना और कहा, मैं क्या करूं? पापा ने बोले- 'जो मन में है, तुम वह करो.''
''कुछ दिन बाद मम्मी के पैसे (10 हजार रुपए) गायब हुए. इसके जो मैंने नहीं लिए, फिर भी मेरी जमकर पिटाई की गई. मैं खून के घूंट पी के रह गया. मुझे मम्मी ने खाना भी नहीं दिया. मैं पूरी रात भूखा रहा. और तभी मैंने सोच लिया कि अब खाना तभी खाऊंगा, जब इस बात का बदला ले लूंगा. उसके बाद रात में हम तीनों (मां, छोटी बहन और आरोपी खुद) सो रहे थे. मैं उठा, पिस्टल निकाली और मम्मी को गोली मार दी.''
''पापा को सब जानकारी थी कि घर में क्या चल रहा है. यहां तक कि पापा गुस्सा होते थे, लेकिन कुछ नहीं करते थे. फिर मैंने ही मां को गोली मार दी. उसके लिए पापा ने फोन पर मुझसे कहा, ''हरामजादे तूने अपनी मां को मार दिया. लेकिन घर में अब बहुत शांति है.''