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दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने एनसीआर के एक बड़े किडनी रैकेट के खुलासे के बाद कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही हैं. इस रैकेट के टारगेट पर 20 से 30 साल के यूथ रहते थे, जो पैसे की जरूरत के लिए अपनी किडनी बेचने के लिए राजी हो जाते थे. पुलिस ने कहा कि ये अब तक 20 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट कर चुके हैं. पुलिस ने हौजखास इलाके से इस मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया है.
26 मई को हौज खास पुलिस स्टेशन को इलाके में चल रहे एक अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट की सूचना मिली थी. पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) बेनिता मैरी जैकर ने कहा कि कुलदीप रे विश्वकर्मा (46) गिरोह का सरगना था और सोनीपत के गुहाना में डॉ सोनू रोहिल्ला के क्लिनिक में अवैध किडनी रैकेट का संचालन किया जाता था.
पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) बेनिता मैरी जैकर के मुताबिक, कुलदीप विश्वकर्मा ने सभी को उनकी भूमिकाओं के अनुसार भुगतान किया और गुहाना क्लिनिक में पिछले छह-सात महीनों के दौरान 12-14 अवैध किडनी ट्रांसप्लांट किए थे. वह गिरोह के कुछ अन्य सदस्यों के साथ दिल्ली के एक प्रमुख निजी अस्पताल में काम करता था.
पुलिस के मुताबिक, टारगेट को ढूंढने का काम शैलेश पटेल (23) और सर्वजीत जेलवाल (37) को दिया गया था, जबकि हौज खास में काम करने वाले मोहम्मद लतीफ (24) को उनका मेडिकल टेस्ट कराने की जिम्मेदारी दी गई थी. विकास (24) आवास और ट्रैवलिंग की जिम्मेदारी उठाता था. रंजीत (43) पीड़ितों को क्लिनिक ले जाने से पहले उनकी देखभाल करता था.
पुलिस ने कहा कि रोहिल्ला (37) के अलावा डॉ सौरभ मित्तल (37) भी अवैध किडनी ट्रांसप्लांट में शामिल थे. पुलिस ने बताया कि विश्वकर्मा के दो सहयोगियों ओम प्रकाश शर्मा (48) और मनोज तिवारी (36) को भी गिरफ्तार किया गया है. बताया जाता है कि गिरोह 3 लाख में किडनी खरीदता था और उसे 30 लाख रुपये में बेच देता था.
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