New Delhi: रेपो रेट को एक बार फिर 6.5% पर बरकरार रखने का फैसला
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने तीन दिनों तक चली बैठक में रेपो रेट को एक बार फिर 6.5% पर बरकरार रखने का फैसला किया है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि यह फैसला एमपीसी के सदस्यों ने 4:2 के बहुमत से लिया है। उन्होंने कहा है कि आरबीआई की पॉलिसी का लोगों के जीवन पर असर पड़ता है। आरबीआई का पहला काम महंगाई को कंट्रोल करना है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने 4-2 बहुमत से ब्याज दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया, जबकि एसडीएफ दर 6.25% और एमएसएफ दर 6.75% पर बनी हुई है। केंद्रीय बैंक का रुख तटस्थ बना हुआ है। एमपीसी ने सर्वसम्मति से इस तटस्थ नीति रुख को बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की, जो वर्तमान आर्थिक स्थितियों के प्रति सतर्क दृष्टिकोण का संकेत देता है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर उम्मीद से कम 5.4 प्रतिशत रही। दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में मंदी का संकेत देने वाले संकेतक समाप्त हो गए हैं। दास के अनुसार,आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत किया है। उन्होंने कहा कि दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में सुस्ती का संकेत देने वाले संकेतक अब समाप्त होने की स्थिति में हैं।
एमपीसी की बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर ने कहा कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार दबाव रहने से तीसरी तिमाही में मुद्रास्फीति ऊंची रहने की संभावना है। उन्होंने कहा कि रबी उत्पादन से राहत मिलेगी। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत कर दिया है।