बच्चे पर पड़ोसी के खूंखार कुत्ते ने किया हमला, बचाने दौड़ी मां, डरा इलाका
नई दिल्ली: दिल्ली के महेन्द्रा पार्क इलाके में सात साल के बच्चे को पड़ोसी के पिटबुल कुत्ते ने काट लिया। बच्चे की मां ने अपनी जान जोखिम में डालकर उसे कुत्ते से छुड़ाया। तुरंत बच्चे को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। परिवार का कहना है कि अगर कुछ मिनट की ओर देरी होती तो …
नई दिल्ली: दिल्ली के महेन्द्रा पार्क इलाके में सात साल के बच्चे को पड़ोसी के पिटबुल कुत्ते ने काट लिया। बच्चे की मां ने अपनी जान जोखिम में डालकर उसे कुत्ते से छुड़ाया। तुरंत बच्चे को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। परिवार का कहना है कि अगर कुछ मिनट की ओर देरी होती तो शायद कुत्ता उनके बच्चे को चबा डालता। पुलिस ने बच्चे के परिवार के बयान पर शिकायत दर्ज कर ली है। पीड़ित सात वर्षीय रेहांश अपने परिवार के साथ ए ब्लॉक जहांगीरपुरी में रहता है।
पिता रंजौत सिंह लकड़ी का काम करते हैं, जबकि मां प्रिया सिलाई करती हैं। पिता रंजौत ने बताया कि सोमवार रात करीब दस बजे पत्नी ने रेहांश को पड़ोसी के सिलाई के कपड़े लेकर उनके घर भेजा था। बच्चे ने जैसे ही पड़ोसी का दरवाजा खोला, सामने पिटबुल खड़ा था। उसने भागने की कोशिश की तो कुत्ते ने वहीं पर उसे पंजे मारने शुरू कर दिए और जबड़े में लेकर घर के अंदर घसीटने लगा। बच्चा चिल्लाता रहा और पिटबुल उसके शरीर को चबाता रहा।
आवाज सुनकर पड़ोसी की लड़की और बच्चे की मां मौके पर पहुंची। पिटबुल के नीचे खून से लथपथ हालत में देखकर मां ने कुत्ते को पकड़ लिया और उसके नीचे से लड़की की सहायता से बच्चे को बाहर निकाला। डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उसकी हालत स्थिर बताई है। बच्चे के पेट, हाथ, बाजू पर चोट के निशान थे और हाथ में फ्रेक्चर था। उपचार के 12 घंटे बाद भी बच्चा पूरी तरह से डरा हुआ है। आलम यह है कि इलाके के परिवार वाले खुद और अपने बच्चों को बाहर निकालने से डर रहे हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि पड़ोसी के पिटबुल को कई बार घर में रखने के लिए बोला था, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी।
मां प्रिया ने बताया कि बेटे का अगले ही दिन पेपर था, लेकिन वह दर्द के कारण काफी रो रहा था और पेपर नहीं दे सका। उसका हाथ फ्रेक्चर हो गया है। सीधे हाथ से अब वो काफी दिनों तक लिख भी नहीं पाएगा। पड़ोसी के कुत्ते ने पहले भी कई लोगों को काटा है। उसके मालिक से बोलने पर परिवार के लोग धमकी तक देते हैं, जिससे किसी की हिम्मत नहीं होती।
प्रिया ने बताया कि पुलिस को वारदात के बाद ही फोन कर दिया गया था। बच्चे को उपचार के बाद घर पर भी ले आए, लेकिन पुलिस वाले नहीं आए। घंटों इंतजार के बाद पुलिस वाले आए और उनकी लिखित शिकायत लेकर चले गए।