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जयपुर: राजस्थान के जयपुर में महिला चिकित्सालय के कर्मचारियों की लापरवाही के चलते दो नवजातों को 10 दिनों तक अपनी मां से अलग रहना पड़ा. दरअसल, बच्चों के जन्म के बाद कर्मचारियों की गलती से बच्चों की अदला-बदली हो गई थी. दोनों माताओं के पास अपना बच्चा वापस पाने के लिए डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट का इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं था. लिहाजा, वे 10 दिनों तक अपने बच्चे से दूर रहीं.
अस्पताल प्रशासन के एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया, "इस मामले में हमने पुलिस की मदद ली. अस्पताल प्रशासन ने पुलिस की मदद से दोनों बच्चों के जैविक माता-पिता की पुष्टि के लिए पहले ब्लड टेस्ट कराया. इसके बाद बच्चों का डीएनए टेस्ट किया गया."
उन्होंने बताया, "निशा नाम की महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया, जबकि रेशमा ने एक बच्ची को जन्म दिया." दोनों बच्चों का जन्म 1 सितंबर को हुआ था. इसके बाद किसी गफलत में बच्चों की अदला-बदली हुई.
तीन दिन बाद कर्मचारियों को पता चली गलती
रेशमा की बेटी निशा को दे दी गई और निशा का बेटा रेशमा के परिवार के पास पहुंच गया. महिलाओं के प्रसव के तीन दिन बाद अस्पताल के कर्मचारियों को अपनी गलती का एहसास हुआ. दरअसल, बच्चों के टैग गलती से बदल दिए गए थे. जब यह जानकारी बच्चों के माता-पिता को दी गई तो पहले उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि उनको जो बच्चा मिला है, वह उनका नहीं है.
इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने बच्चों की अदला-बदली की पुष्टि के लिए ब्लड टेस्ट और बाद में डीएनए टेस्ट करवाया. अधिकारी ने कहा, "डीएनए रिपोर्ट में लापरवाही की पुष्टि होने के बाद बच्चों के जैविक माता-पिता अपने बच्चों की अदला-बदली करने के लिए तैयार हो गए."
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