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सबसे अहम बात कि इस सॉल्वर गैंग के सरगना का पुलिस को सिर्फ नाम मालूम है. पुलिस के पास ना तस्वीर है, ना उसका पता जानती हैं.
लखनऊ/ वाराणसी: MBBS व BDS के लिए देशभर में होने वाली नीट परीक्षा में अंतरराज्यीय गैंग बीते कई सालों से सेंधमारी कर रहा है. वाराणसी पुलिस के हत्थे चढ़े इस गैंग में बीएचयू, केजीएमसी समेत कई प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टर व पढ़ाई कर रहे छात्र शामिल हैं. सबसे अहम बात कि इस सॉल्वर गैंग के सरगना का पुलिस को सिर्फ नाम मालूम है. पुलिस के पास ना तस्वीर है, ना उसका पता जानती हैं.
पटना में बैठकर यूपी बिहार समेत कई राज्यों में फैले इस नेटवर्क में शामिल 4 लोगों की गिरफ्तारी के बाद कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही है. क्या है पीके गैंग का नीट परीक्षा में कनेक्शन? कैसे करता है पीके का सॉल्वर गैंग हाईटेक तरीके से काम..एक रिपोर्ट.
वाराणसी पुलिस ने रविवार को देशभर में हो रही नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट यानी नीट परीक्षा के सॉल्वर गैंग का खुलासा किया. वाराणसी के सारनाथ इलाके के सेंट फ्रांसिस जेवियर स्कूल में बीएचयू से बीडीएस सेकंड ईयर की छात्रा जूली को गिरफ्तार किया. जूली के साथ उसकी मां बबीता को भी गिरफ्तार किया गया. पूछताछ की गई तो पता चला अपने बेटे अभय के कहने पर मां बबिता ने सॉल्वर गैंग से ₹5लाख लिए थे और जिसके बाद मां ने अपनी डॉक्टर बेटी जूली को त्रिपुरा की रहने वाली हिना विश्वास की जगह नीट परीक्षा में बैठाया था.
शुरुआती पूछताछ के बाद पुलिस को जो जानकारी मिली वह एक बड़े रैकेट से जुड़ी थी. गैंग में 3 टीमें काम करती थी. एक टीम जो 1 या 2 साल पहले नीट परीक्षा में अच्छे अंक पाकर मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे छात्रों की लिस्ट बनाकर उनको चुनता जो आर्थिक रूप से कमजोर हो. पकड़ी गई जूली भी ऐसे ही बैकग्राउंड से थी, उसके पिता पटना में सब्जी की दुकान लगाते हैं, जूली 2 साल पहले हुई नीट परीक्षा में 520 नम्बर लाई थी.
दूसरी टीम नीट परीक्षा में फेल हुए उन छात्रों का डेटाबेस तैयार करती जो पैसा दे सकते थे, लेकिन परीक्षा पास नहीं कर पा रहे थे. तीसरी टीम पैसों के लालच में आकर सॉल्वर बनने को तैयार हुए एमबीबीएस व बीडीएस के छात्रों का चेहरा देखता, उनकी फ़ोटो से पैसा देकर परीक्षा पास करने वाले छात्रों की जोड़ी बनाता था. यानी लड़की की जगह लड़की सॉल्वर रखते, लेकिन मिलता-जुलता चेहरा होता. असली कैंडिडेट और सॉल्वर कैंडिडेट की फोटो को हाइब्रिड कर तीसरी फोटो बनाई जाती और वह फोटो एडमिट कार्ड पर लगा दी जाती, ताकि परीक्षा केंद्र पर मिलान हो तो नाक आंख का असल कैंडिडेट से मिलान हो सके. फिर पैसा देने वाले परीक्षार्थी से गैंग 20 से 25 लाख रुपए वसूलता, जिसमे 5 लाख रुपये एडवांस लिए जाते, साल्वर को ₹5लाख देना तय होता और ₹50,000 बतौर एडवांस उसको थमा दिए जाते थे.
गैंग में तीन अलग-अलग टीमें काम करती, टीमें आपस में संपर्क भी नही करती. कोई टीम दूसरे टीम को नहीं जानती कि वह कहां काम कर रही है, किस के संपर्क में काम कर रही है. इन तीनों का मास्टरमाइंड बॉस पटना में बैठा एक ऐसा शख्स है जिसको कम लोगों ने देखा और उसका पता तो किसी को मालूम ही नहीं, पुलिस को अब तक इस मास्टरमाइंड की फोटो तक नहीं मिल पाई है. अब तक की पूछताछ में इस इंटरस्टेट सॉल्वर गैंग का सरगना पीके बताया गया.
पटना का रहने वाला प्रेम कुमार उर्फ नीलेश उर्फ पीके ही सॉल्वर गैंग का बॉस है. पीके इस गैंग के ऑपरेशन में अपनी पहचान छिपाने के लिए विशेष एहतियात बरतता था. वह ना तो कहीं सोशल मीडिया पर है,ना ही हाईटेक फोन इस्तेमाल करता है. वाराणसी पुलिस कमिश्नर सतीश गणेश की मानें तो अब तक की पूछताछ में पीके के बारे में तमाम जानकारियां मिली हैं. पीके अपने गैंग मेंबरों से संपर्क करने के लिए कोरियर से चिट्ठी भेजता है, फोन का इस्तेमाल बहुत कम और जल्दी-जल्दी नंबर बदलने का आदी है, इतना ही नहीं एयरपोर्ट पर किसी भी तरह की फोटो ना पाए इसलिए वह एयर ट्रैवल करता ही नहीं है. वह सिर्फ ट्रेन से यात्रा करता है. जब भी गैंग के किसी खास व्यक्ति से पीके को मिलना होता है तो वह खुद अपने बताए होटल में मीटिंग रखता है.
वाराणसी पुलिस ने इस मामले मे जूली जैसे पढ़ने वाले छात्रों को सॉल्वर बनाने वाली टीम के सरगना और केजीएमसी से डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे डॉक्टर ओसामा शाहिद को गिरफ्तार किया है. डॉ ओसामा शाहिद केजीएमसी व बीएचयू जैसे मेडिकल संस्थानों में सॉल्वर बनने वाले फर्स्ट और सेकंड ईयर के छात्रों को चुनता था. वाराणसी क्राइम ब्रांच ने इस मामले में सॉल्वर बन परीक्षा दे रही जूली कुमारी के भाई अभय महतो को भी गिरफ्तार किया है. अभय के दोस्त विकास ने 5 लाख रुपये का लालच देकर जूली को सॉल्वर बनाया था.
अब तक 4 लोगों की गिरफ्तारी के बाद पता चला है कि पटना से चल रहे इस सॉल्वर बैंक का नेटवर्क ना सिर्फ बिहार, उत्तर प्रदेश बल्कि दिल्ली और पूर्वोत्तर के राज्यों तक फैला हुआ है. पुलिस को अब तक मिले दस्तावेजों में बड़ी मात्रा में असम त्रिपुरा समेत कई राज्यों के परीक्षार्थियों का डेटाबेस मिला है, जो या तो खुद सॉल्वर बनने को तैयार थे या फिर सॉल्वर से परीक्षा पास करना चाह रहे थे. फिलहाल वाराणसी पुलिस ने इस मामले में पटना पुलिस से संपर्क किया है. वाराणसी की एक स्पेशल टीम पटना दिल्ली वह अन्य राज्यों में जाकर इस गैंग के पूरे नेक्स्स पर काम करेगी.
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