
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया का कहना है कि खाद्य सुरक्षा के मुद्दों पर गहराई से विचार करना जरूरी है। वन हेल्थ दृष्टिकोण के तहत एक इको सिस्टम बनाना खाद्य नियामकों का जिम्मेदार काम है। बृहस्पतिवार को दिल्ली में शुरू हुए दो दिवसीय पहला वैश्विक खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन में डॉ. मांडविया ने कहा, संतुलित, सुरक्षित और पौष्टिक भोजन निवारक देखभाल है। यह हमारे स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करता है।
म्मेलन के उद्घाटन सत्र में डॉ. मांडविया के अलावा नेपाल के कृषि मंत्री डॉ. बेदु राम भुसाल, भारत के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी मौजूद रहे। सम्मेलन में दुनिया के 76 देशों के खाद्य नियामक प्राधिकरण के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया है। सम्मेलन में एक कॉमन डिजिटल डैशबोर्ड भी लॉन्च किया। यहां दो दिवसीय प्रदर्शनी भी लगाई गई है, जहां खाद्य सुरक्षा, खाद्य मानकों, खाद्य परीक्षण क्षमता, उत्पाद सुधार और खाद्य प्रौद्योगिकियों में उन्नति के बारे में जानकारी दी जा रही है। कार्यक्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनोम घेबियस ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से कहा कि हमें सामूहिक रूप से यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर जगह हर किसी को सुरक्षित और पौष्टिक भोजन मिले।
डॉ. मांडविया ने कहा, विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में कृषि-जलवायु विविधताएं होती हैं। इसलिए खाद्य सुरक्षा प्रोटोकॉल पर कोई एक मानक लागू नहीं हो सकता है। हमें यह पता लगाने की जरूरत है कि क्षेत्रीय विविधताओं को वैश्विक सर्वोत्तम अभ्यास में कैसे शामिल किया जा सकता है?
सुनिश्चित हो भोजन की उपलब्धता
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भोजन एक बुनियादी अधिकार है और इसकी उपलब्धता व सामर्थ्य सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, भारत में कृषि और खाद्य उद्योग के आकार और मात्रा को ध्यान में रखते हुए, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कृषि इनपुट से लेकर उत्पाद अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचने तक पूरे मूल्य शृंखला नेटवर्क पर एक इकाई के रूप में विचार करना महत्वपूर्ण है। जी-20 शेरपा अमिताभ कांत ने भोजन की बर्बादी को कम करने, खाद्य आपूर्ति व डिजिटल उपकरणों का उपयोग बढ़ाने और बाजरा जैसी लचीली खाद्य फसलों के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
