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एनसीआरटीसी ने निर्माण स्थलों के पास वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अपने प्रयासों को किया तेज
jantaserishta.com
2 Nov 2022 9:24 AM GMT
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नई दिल्ली (आईएएनएस)| दिल्ली-एनसीआर की मौजूदा बिगड़ती पर्यावरणीय स्थिति को देखते हुए 'एनसीआरटीसी' ने स्थिति से निपटने के लिए अपने प्रयासों को और तेज कर दिया है। 'आरआरटीएस' परियोजना को लागू करने वाली एजेंसी, एनसीआरटीसी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के साथ मिल उनके दिशा-निर्देशों का पालन कर निर्माण कार्यो से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए प्रयास करती है। एनसीआरटीसी निर्माण के लिए प्री-कास्ट सेगमेंट का उपयोग कर रही है। प्री-कास्टिंग बेहतर गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करते हुए कार्यो के सुरक्षित और तेजी से निष्पादन में मदद करता है, सड़क उपयोगकर्ताओं, राहगीरों, व्यापारियों और निवासियों की असुविधा को कम करता है और वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण में कमी करता है।
आरआरटीएस निर्माण स्थलों पर ट्रक वाशिंग प्लांट, स्प्रिंकलर और एंटी-स्मॉग गन इंस्टॉल की गई हैं। निर्माण कार्य से होने वाली धूल और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एंटी-स्मॉग गन का इस्तेमाल किया जा रहा है और धूल को उड़ने से रोकने के लिए निर्माण स्थल पर पानी के टैंकरों से पानी का निरंतर छिड़काव किया जा रहा है।
ऐसे 20 स्प्रिंकलर और 6 एंटी स्मॉग गन आनंद विहार निर्माण साइट पर एक निश्चित ऊंचाई पर लगाए गए हैं। जल छिड़काव के लिए मोबाइल वाहन भी साइट पर तैनात किए गए हैं और भविष्य में इसकी संख्या बढ़ाई भी जाएगी। एनसीआरटीसी निर्माण स्थलों के पास धूल को उड़ने से रोकने के लिए सड़कों की मशीनीकृत/वैक्यूम स्वीपिंग भी करता है और इसकी आवृत्ति तेज कर दी गई है।
दरअसल आनंद विहार दिल्ली के प्रमुख परिवहन केंद्रों में से एक है, जहाँ आनंद विहार रेलवे स्टेशन, वीर हकीकत राय आईएसबीटी, यूपीएसआरटीसी स्टैंड और दो मेट्रो लाइनें मौजूद हैं। मल्टी-मॉडल इंटीग्रेशन के तहत, आनंद विहार आरआरटीएस स्टेशन साइट भी पहले से मौजूद इन सार्वजनिक परिवहन के साधनों के करीब है। आनंद विहार आरआरटीएस स्टेशन एक भूमिगत स्टेशन है, जहां अधिकांश निर्माण जमीनी स्तर से कम से कम 25-30 मीटर नीचे किया जा रहा है।
आनंद विहार में सुरंगों के निर्माण के लिए उपयोग किए जा रहे टनल सेगमेंट्स को एनसीआरटीसी के कास्टिंग यार्ड में सुनिश्चित गुणवत्ता नियंत्रण के साथ नियंत्रित वातावरण में कास्ट किया जा रहा है। इन्हें ट्रेलरों पर लाद कर रात के समय साइटों पर लाया जाता है ताकि यातायात संबंधी समस्या और लोगों को कम से कम असुविधा हो।
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