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दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 20 साल से नाम और पहचान बदलकर फरीदाबाद में रह रहे बिहार के 60 वर्षीय एक कुख्यात नक्सली नेता किशुन पंडित को गिरफ्तार किया है। इसे पुल प्रह्लादपुर इलाके से गिरफ्तार किया गया है। बताया जा रहा है कि पकड़े गए इस नक्सली नेता ने 26 साल पहले बिहार में एक पुलिस अधिकारी की हत्या कर दी थी, फिर पुलिस से बचने के लिए 2002 में एक ट्रेन हादसे में खुद को मरा घोषित करवाते हुए नकली दाह संस्कार भी करवाया दिया था। इसके बाद बिहार पुलिस ने उसकी तलाश बंद कर दी थी। 26 साल पहले ही उस पर 1 लाख रुपये 1 लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था।
पुलिस के मुताबिक, 7 अप्रैल को एक सूचना मिली थी कि किशुन पंडित नाम का एक शख्स जो श्रीपालपुर पटना का रहने वाला है और आईपीएफ माले (बिहार में 1990 के दशक में सक्रिय एक नक्सली संगठन) का नेता है और 1996 में एक पुलिस अधिकारी की हत्या, पुलिस की राइफल और 40 कारतूस छीनने में शामिल है, वो वर्तमान में फर्जी नाम और पहचान के साथ फरीदाबाद में रह रहा है। इस सूचना पर काम करते हुए क्राइम ब्रांच की एक टीम को बिहार भेजा गया
अदालत के दस्तावेजों की जांच के दौरान यह पाया गया कि 23 नवंबर 1996 को पटना के पुनपुन थाना इलाके आईपीएफ माले के नेता किशुन पंडित और उसके साथियों ने पुलिस टीम पर हमला कर एक पुलिस अधिकारी की हत्या कर दी थी और अन्य 3 पुलिस अधिकारियों को बेरहमी से घायल कर दिया था। उसने और उसके साथियों ने पुलिस अधिकारियों से एक राइफल और 40 राउंड कारतूस भी छीन लिए। इसके बाद से किशुन पंडित फरार था। उस पर 1 लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था, लेकिन उसे इस मामले में गिरफ्तार नहीं किया जा सका और वह फरार रहा।
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच को 8 अप्रैल को सूचना मिली कि किशन पंडित पुल प्रहलादपुर क्षेत्र के सीएनजी पंप के पास आएगा, उसी पर कार्रवाई करते हुए उसे वहां से पकड़ लिया गया। पकड़े जाने पर शुरुआत में उसने अपना नाम किशुन पंडित के बजाय लक्ष्मी पंडित बताया और कहा कि वो सूरजकुंड में रहता है। तलाशी के दौरान उसके घर से बिहार का एक भूमि रिकॉर्ड बरामद किया गया था, जिसमें किशुन पंडित नाम लिखा हुआ था, साथ ही उसकी पत्नी का एक आधार कार्ड भी बरामद किया गया, जिसमें उसका नाम किशुन पंडित लिखा था।
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