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कुदरत का कहर

Sonam
11 July 2023 3:41 AM GMT
कुदरत का कहर
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साल 2013 में उत्तराखंड में बादल फटने के बाद जो तबाही का मंजर देखने को मिला, उसे कोई चाहकर भी नहीं भूल सकता है। इन दस सालों में शायद ही कोई ऐसा साल रहा होगा, जब इस बारिश से तबाही न मचाई हो, लोगों की जान न ली है और लाखों लोगों का घर न बर्बाद किया हो।

वैज्ञानिकों ने दी थी चेतावनी

भारत का ऐसा कोई कोना नहीं होगा, जो पिछले दस सालों में एक भी बार बाढ़ का तांडव न झेला हो। दिल्ली, मुंबई, गुजरात, असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और यहां तक की बिहार और बंगाल भी इसकी चपेट में आ चुका है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने पहले ही इस बात की चेतावनी दे दी थी कि आने वाले समय में बारिश का रूद्र रूप देखा जा सकता है। वर्षा पहले के मुकाबले अधिक तीव्र और सघन हो जाएगी। बारिश होगी थोड़े ही समय के लिए, लेकिन उसमें यह तबाही मचाएगी।

10 सालों में कई बार मची तबाही

इस खबर में हम आपको बताएंगे कि आखिर पिछले 10 सालों में भारत के किस कोने में बारिश से तबाही का मंजर देखने को मिला है और कितने लोगों ने इसमें अपनी जान गंवाई है। हालांकि, आंकड़ों की पुष्टि कर पाना बहुत मुश्किल होता है, हालांकि अनुमानित तौर पर देखें तो लाखों लोगों ने इस दौरान अपनी जान गंवा दी है।

पहले आपको बता देते हैं कि देश के कितने राज्यों को फ्लट बेल्ट कहा जाता है, यानी देश के किन राज्यों में बाढ़ आने के ज्यादा आसार रहते हैं। साथ ही, इन राज्यों के में किन नदियों का विकराल रूप उनके लिए कहर बनकर सामने आता है।

उत्तराखंड- गंगा, भागीरथी, भलंगना, मंदाकिनी, सरस्वती, अलकनंदा

उत्तर प्रदेश- गोमती, गंगा

बिहार- कोसी, गंडक, बागमती, कमला बलान, गंगा

झारखंड- दामोदर

पश्चिम बंगाल- दामोदर

असम- ब्रह्मपुत्र

मध्य प्रदेश- नर्मदा

गुजरात- नर्मदा

महाराष्ट्र- गोदावरी

तेलंगााना- गोदावरी

आंध्र प्रदेश- गोदावरी

कर्नाटक- कावेरी

तमिलनाडु- कावेरी

देश में कब-कब बारिश ने मचाई भारी तबाही?

1. 2013 में उत्तराखंड में दिखा था बारिश का भारी प्रकोप

साल 2013 में उत्तराखंड में बादल फटने के बाद, जो तबाही आई थी, वो आज भी लोगों के रोंगटे खड़े कर देती है। उत्तराखंड की चोटी से आई बाढ़ ने किस हद से राज्य को क्षति पहुंचाई थी, उसका अंदाजा आज तक नहीं लगाया जा सका है।

दरअसल, 13 जून से 17 जून तक लगातार बारिश का कहर जारी था, इसी बीच चारोबाड़ी ग्लेशियर में हिमस्खलन और फिर देखने को मिला मंदाकिनी नदी का विकराल और रौद्र रूप। चारोबाड़ी में हिमस्खलन होने के कारण सबसे ज्यादा तबाही केदारनाथ मंदिर के आसपास वाले इलाकों में आई थी।

आंकड़ों की मानें तो, उस दौरान लगभग 5 हजार-10 हजार लोगों की मौत हुई थी, लेकिन जिसने भी वो मंजर देखा, उनको इन आंकड़ों पर विश्वास नहीं होता है। भारत में बाढ़ ने उस समय जो रूप दिखाया था, उसे सोच पाना भी मुमकिन नहीं होता है।

2. मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के जलस्तर से आई तबाही

मध्य प्रदेश की नर्मदा नदी वहां के लोगों की जीवन रेखा है, लेकिन हर साल बारिश के बाद इसका उफनता जलस्तर गुजरात और मध्य प्रदेश के लिए तबाही लेकर आता है। जून 2015 में आए मानसून में गुजरात पानी-पानी हो गया था। गुजरात के अधिकतर उस दौरान जलमग्न हो गए थे और लगभग 100-150 लोग मारे गए थे। उस बाढ़ ने राज्य में लाखों रुपये का नुकसान पहुंचाया था।

3. 2015 में तमिलनाडु में आई भयंकर बाढ़

साल 2015 में दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में नवंबर के महीने में बारिश ने जो तबाही मचाई थी, उसमें लगभग 500 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी। इस भयानक बाढ़ की वजह से राज्य के लगभग 18 लाख लोग प्रभावित हुए थे और 40,000 लोगों को विस्थापित हुए थे। इसके साथ ही, बाढ़ से गिर वन राष्ट्रीय उद्यान बुरी तरह प्रभावित हुआ और तीन जिलों में बड़ी संख्या में मवेशियों की मौत हो गई थी।

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