नेशनल सिक्योरिटी: सैन्य आधुनिकीकरण के लिए प्रस्तावों को मंजूरी, निगरानी प्रणालियों के लिए जीसैट-7बी लांच होगा
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दिल्ली: सरकार ने चीन और पाक सीमा पर सैन्य आधुनिकीकरण के लिए 8357 करोड़ रुपए के खर्च प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके तहत जहां कई आधुनिक निगरानी प्रणालियों की खरीद होगी, वहीं जीसैट मिशन की अगली पीढ़ी के सैटेलाइट जीसैट-7बी को भी लांच किया जाएगा। इस सैन्य कम्युनिकेशन सैटेलाइट से चीन और पाक की नापाक हरकतों पर ऊपर अंतरिक्ष से सीधी नजर रहेगी। रक्षा खरीद परिषद की मंजूरी के बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी जी.एस.टी.-7बी की आवश्यकता की स्वीकृति (ए.ओ.एन.) को हरी झंडी दे दी है।
जीसैट सैटेलाइट्स का महत्व: जीसैट श्रेणी के सैटेलाइट भू-स्थिर कक्षा में स्थित मल्टीबैंड सैटेलाइट हैं। इन्हें संचार और सैन्य संचार सैटेलाइट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। मौसम का हाल जानने से लेकर इनके जरिए दुश्मन की जमीनी, जलीय और हवाई हरकत पर भी सीधी नजर रखी जा सकती है।
भारत का जीसैट मिशन: जीसैट-7: अगस्त 2013 तक हमारी नौसेना अपनी सूचनाओं के लिए इनमार्सेट जैसे विदेशी सैटेलाइट पर निर्भर थी। 30 अगस्त 2013 को भारत ने अपना पहला सैन्य सैटेलाइट जीसैट-7 का फ्रैंच गुएना से प्रक्षेपण किया। इसका नाम रुकमणि था और इसने 18 सितम्बर 2017 से सफलतापूर्वक अपना काम शुरू किया। यह एक समय में 60 पोतों और 75 विमानों से नैटवर्क स्थापित करने में सक्षम है।
भविष्य की जरूरत: भविष्य की जरूरतों को देखते हुए जीसैट-7बी और 7सी की जरूरत भी जताई जा रही है। सेना को ऐसे कम्युनिकेशन सैटेलाइट्स की भी जरूरत है जिनके जरिए अमरीका के प्रीडेटर-बी और सी गार्जियन जैसे आम्र्ड ड्रोन को संचालित किया जा सके। भारत ने पिछले साल नवम्बर में ही अमरीका से प्रीडेटर ड्रोन खरीद की डील की है।