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राष्ट्रीय प्रसारण दिवस आज, जानें कब आया ऑल इंडिया रेडियो?

Nilmani Pal
23 July 2022 1:21 AM GMT
राष्ट्रीय प्रसारण दिवस आज, जानें कब आया ऑल इंडिया रेडियो?
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हर साल 23 जुलाई 2022 को नेशनल ब्रॉडकास्टिंग डे मनाया जाता है. इस दिन को सेलिब्रेट करने के पीछे रेडियो का महत्व याद दिलाना और समझाना भी एक बड़ी वजह है. यह वह दिन था जब भारत को अपनी पहली रेडियो ब्रॉडकास्टिंग कंपनी मिली थी. जी हां, यही वह दि था जब 1927 में इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी लिमिटेड (IBC) नामक एक प्राइवेट कंपनी के रूप में अपना सफर शुरू किया.

भारत में ब्रॉडकास्टिंग का इतिहास लगभग ऑल इंडिया रेडियो (AIR) के शुरू होने से करीब 13 साल पुराना है. जून 1923 में ब्रिटिश राज में बॉम्बे के रेडियो क्लब ने देश में पहली बार प्रसारण किया. इसके बाद पांच महीने बाद कलकत्ता रेडियो क्लब की स्थापना हुई लेकिन इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी (IBC) 23 जुलाई, 1927 को अस्तित्व में आई. यही कारण है कि 23 जुलाई को राष्ट्रीय प्रसारण दिवस के रूप में मनाया जाता है.

अप्रैल 1930 में, लेबर और इंडस्ट्रियल विभाग के तहत भारतीय प्रसारण सेवा ने एक्सपेरिमेंटल तौर पर अपना संचालन शुरू किया. अगस्त 1935 में लियोनेल फील्डन (Lionel Fielden) को प्रसारण का पहला कंट्रोलर नियुक्त किया गया था. अगले महीने आकाशवाणी मैसूर में एक प्राइवेट रेडियो स्टेशन खड़ा कर दिया. 8 जून 1936 को भारतीय राज्य प्रसारण सेवा ऑल इंडिया रेडियो (AIR) बन गया. सन 1956 में नेशनल ब्रॉडकास्टर के लिए आकाशवाणी (AKASHVANI) नाम अपनाया गया था. 1957 में विविध भारती (Vividh Bharati) सेवा शुरू की गई जो बहुत जल्द ही फिल्म संगीत के लिए लोकप्रिय बना गया. आकाशवाणी या ऑल इंडिया रेडियो (AIR) भारत की घरेलू राष्ट्रीय रेडियो प्रसारण सेवा है जो पूरे देश में लाखों घरों तक पहुंचती है. AIR प्रसार भारती का एक प्रभाग है जो पहले सरकारी नियंत्रण में था लेकिन अब एक स्वायत्त निकाय है, जिसे संसद के एक अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया है. प्रसार भारती में दूरदर्शन भी शामिल है, प्रसिद्ध राष्ट्रीय टेलीविजन नेटवर्क जिसने रामायण जैसी हिट ड्रामा सीरीज और शैक्षिक कार्यक्रम प्रसारित किए.

दशकों से, रेडियो सबसे पुराने, सबसे लोकप्रिय और सबसे व्यापक रूप से उपभोग किए जाने वाले समाचार माध्यमों में से एक बना हुआ है. हर दौर में रेडियो प्रसारण का अपना अलग महत्व रहा है. आजादी से पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आजाद हिंद रेडियो और कांग्रेस रेडियो ने भारतीयों को अंग्रेजों के खिलाफ जगाने में मदद की. वहीं आजादी के बाद स्वतंत्र भारत के निर्माण के लिए रेडियो प्रसारण ने मील के पत्थर का काम किया. ब्रॉडकास्टिंग, प्राकृतिक आपदाओं के समय सूचना देने में भी अहम भूमिका निभाता है.


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