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2 सितंबर को लॉन्च होगा नासा का Artemis-1 मिशन

Admin2
29 Aug 2022 2:36 PM GMT
2 सितंबर को लॉन्च होगा नासा का Artemis-1 मिशन
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नासा के आर्टेमिस-1 मिशन को आज रवाना किया जाना था, लेकिन अब इसको टाल दिया गया है. इंजन में लीकेज होने के बाद नासा के मून मिशन को रोका गया. अब हाइड्रोजन टीम आर्टेमिस-1 लॉन्च डायरेक्टर के साथ मिलकर आगे की प्लानिंग पर काम कर रही है. इस मिशन को अब 2 सितम्बर को लॉन्च किया जाएगा. अपोलो 17 मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों के आखिरी बार चंद्रमा पर पैर रखने के पचास साल बाद आर्टेमिस-1 मिशन शुरू होना है. बता दें कि तीन सौ 22 फुट का यह अतंरिक्ष लॉन्च प्रणाली रॉकेट नासा द्वारा बनाया गया अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है.

यह नासा के अपोलो अभियान के करीब आधी सदी बाद चंद्रमा की कक्षा में एक खाली क्रू कैप्सूल को भेजने के लिए तैयार है. अपोलो अभियान के दौरान 12 अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर उतरे थे. छह सप्ताह की यह परीक्षण उड़ान अच्छी रही तो अंतरिक्ष यात्री कुछ सालों में चांद पर लौट सकते हैं. हालांकि, नासा के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि जोखिम अधिक है और उड़ान की अवधि को कम किया जा सकता है.
चंद्रमा पर इंसान को बसाने की तैयारी
नासा के अधिकारियों ने रविवार को कहा कि शनिवार को आई आंधी के दौरान नासा केनेडी अंतरिक्ष केंद्र पर स्थित रॉकेट और कैप्सूल को कोई नुकसान नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि अन्य उपकरणों को भी किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा है. उल्लेखनीय है कि नासा का आर्टेमिस-1 मिशन करीब आधी सदी के बाद मनुष्यों को चंद्रमा की यात्रा कराकर वापस लाने के एक महत्वपूर्ण कदम की ओर अग्रसर है.
चंद्रमा तक जाएगा नासा का रॉकेट
बता दें कि नासा की अतंरिक्ष प्रक्षेपण प्रणाली और ऑरियन क्रू कैप्सूल के लिए यह महत्वपूर्ण यात्रा होने वाली है. यह अंतरिक्ष यान चंद्रमा तक जाएगा, कुछ छोटे उपग्रहों को कक्षा में छोड़ेगा और खुद को कक्षा में स्थापित हो जाएगा. नासा का उद्देश्य अंतरिक्ष यान के परिचालन का ट्रेनिंग प्राप्त करना और चंद्रमा के आसपास अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा अनुभव किए जाने वाले हालात की जांच करना है.
क्या है आर्टेमिस-1 की खासियत
यह नई तरह की रॉकेट प्रणाली है क्योंकि इसके मुख्य इंजन दोनों तरल ऑक्सीजन और हाइड्रोजन प्रणाली का सम्मिश्रण है, साथ ही अंतरिक्ष यान से प्रेरणा लेकर दो ठोस रॉकेट बूस्टर भी लगे हैं. यह वास्तव में अंतरिक्ष यान (स्पेस शटल) और अपोलों के सैटर्न पंचम रॉकेट को मिलाकर तैयार हाइब्रिड स्वरूप है. यह परीक्षण बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि ऑरियन क्रून कैप्सूल का वास्तविक कार्य देखने को मिलेगा. यह प्रशिक्षण चंद्रमा के अंतरिक्ष वातावरण में करीब एक महीने होगा.
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