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नैनीताल: नैनीताल की सबसे ऊंची पहाड़ी से लगातार भूस्खलन हो रहा है। नैनीताल चाइना पीक की पहाड़ी से लगातार भूस्खलन से दहशत का माहौल है। रविवार की देर रात पहाड़ी से एक बार फिर भूस्खलन हुआ, जिसके चलते क्षेत्रवासियों में दहशत दिख रही है। पहाड़ी के ऊपरी छोर में करीब एक मीटर से अधिक चौड़ी दरार पड़ गई है। वहीं, 80 के दशक से चाइना पीक की पहाड़ी पर लगातार बड़ा भूस्खलन हो रहा है। पहाड़ी से मलबा और बोल्डर आबादी तक पहुंच रहे हैं, जो हादसों का सबब बन सकते हैं।
कुमाऊं विश्वविद्यालय के भूगर्भ शास्त्री प्रोफेसर बहादुर सिंह कौटल्या बताते हैं कि चाइना पीक की पहाड़ी पर समय-समय पर हो रहा भूस्खलन आने वाले समय में नैनीताल के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। पहाड़ी पर हो रहे भूस्खलन को रोकने के लिए उन्होंने अध्ययन रिपोर्ट पूर्व में शासन को भेजी है। जिस पर सरकार ने आज तक कोई अमल नहीं किया। जिसके चलते समय-समय पर भूस्खलन हो रहा है। समय रहते भूस्खलन को रोकने के लिए ठोस नीति बनाकर कार्य नहीं हुआ तो जल्द ही पहाड़ी में बड़ा भूस्खलन देखने को मिल सकता है। क्षेत्रीय निवासी सुरेंद्र प्रसाद बताते हैं कि 1984 में भी पहाड़ी में बड़ा भूस्खलन हुआ था। भूस्खलन से कई घर, घोड़े मलबे में दब गए थे। जिसके बाद प्रशासन ने क्षेत्र में रहने वाले लोगों को सूखाताल, आयरपटा, यूथ हॉस्टल, प्राइमरी स्कूल समेत आसपास के क्षेत्रों में विस्थापित किया।
उन्होंने बताया कि प्रशासन ने भूस्खलन का मलबा और बोल्डर आबादी तक ना पहुंचे, इसके लिए पहाड़ी में दस-दस फीट ऊंची दीवार बनाई। कुछ सालों तक भूस्खलन का मलबा इन दीवारों से अटका रहा। लेकिन, अब दीवारों पर मलबा पूरी तरह से भर चुका है। जिसके चलते पत्थर आबादी वाले क्षेत्रों में आ रहे हैं। जिससे लोगों की जान पर खतरा मंडरा रहा है।
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