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नैनीताल: न्यायालय ने माओवादी घटना में पकड़े गए दो आरोपित को दोषमुक्त करार दिया

Admin Delhi 1
13 March 2022 4:24 PM GMT
नैनीताल: न्यायालय ने माओवादी घटना में पकड़े गए दो आरोपित को दोषमुक्त करार दिया
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नैनीताल: प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के पोस्टर लगाने और लिखाई करने के आरोपित 5000 रुपये के इनामी कथित माओवादी देवेंद्र चम्याल और उसके साथ पकड़ी गई भगवती भोज को न्यायालय ने कल दोषमुक्त यानी बरी कर दिया। यह घटना नैनीताल के धारी तहसील मुख्यालय में 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान कथित रूप से माओवादियों द्वारा की बताई गई थी। बताया गया कि मामले के अभियोजकों को आरोपितों के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिले। यह भी बताया गया कि मुख्य आरोपित देवेंद्र चम्याल वास्तव में काल्पनिक व्यक्ति निकला। क्योंकि जिस व्यक्ति को पकड़ा गया और जिस पर पूरा अभियोग चला वह देवेंद्र चम्याल नहीं बल्कि देव सिंह था। नैनीताल जनपद की प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रीतु शर्मा की न्यायालय ने शनिवार को इस मामले में 40 पेज के अपने आदेश में कहा है कि अगर दोनों अन्य मामलों में वांछित नहीं हैं तो दोनों को तत्काल रिहा करें। मामले के अनुसार 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान 1 फरवरी 2017 को धारी तहसील मुख्यालय में गिरीश चंद्र ने शिकायत दर्ज कराई थी कि तहसील में एक गाड़ी पर आग लगा दी गयी और लाल रंग से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) और अन्य स्लोगन लिख दिए गए। साथ ही तहसील के बाहर भी पोस्टर डंडे पम्फलेट में माओवादी लिखा मिला।

इस शिकायत पर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में 23 सितंबर 2017 को चोरगलिया थाने में तैनात संजय जोशी ने आरोपित देवेंद्र चम्याल व भगवती भोज को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। लंबी सुनवाई के बाद न्यायालय में पुलिस की कहानी नहीं चल सकी और न्यायालय ने दोनों आरोपितों को आरोपों से दोषमुक्त कर दिया। देवेंद्र सिंह चम्याल को रिहा करने और पहले से जमानत पर चल रही भगवती भोज को 6 माह तक के लिए सीआरपीसी की धारा 437ए के प्रावधानों के अंतर्गत रहने को कहा है। बचाव पक्ष के अधिवक्ता चंद्रशेखर करगेती ने बताया कि आरोपितों के विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं पाया गया। केवल पुलिस कस्टली के दौरान उनके द्वारा अपराध स्वीकार किए जाने के आधार पर यह मामला चला। देवेंद्र सिंह चम्याल वास्तव में देव सिंह चम्याल था। बचाव पक्ष की ओर से इस संबंध में उसका मतदाता पहचान पत्र व विद्यालय का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया। इस आधार पर उन्होंने तर्क दिया कि देवेंद्र सिंह चम्याल पुलिस द्वारा निर्मित व्यक्ति था और पुलिस ने जिसे पकड़ा गया वह देवेंद्र सिंह चम्याल नहीं था। अभियोजन की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता-फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने पैरवी की।

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