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मुस्लिम छात्र चर्चा में, रामायण पर ऑनलाइन क्विज जीता, जानें डिटेल्स

jantaserishta.com
7 Aug 2022 3:57 AM GMT
मुस्लिम छात्र चर्चा में, रामायण पर ऑनलाइन क्विज जीता, जानें डिटेल्स
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: दो मुस्लिम छात्रों ने रामायण पर ऑनलाइन क्विज जीता है. कुल पांच छात्रों में से दो ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है. मलप्पुरम के दो मुस्लिम छात्रों मोहम्मद जाबिर पीके और मोहम्मद बसीथ एम ने ऑनलाइन रामायण प्रश्नोत्तरी में शीर्ष स्थान हासिल किया. जिसमें 1,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया था. ये दोनों केकेएचएम इस्लामिक एंड आर्ट्स कॉलेज, वालेंचेरी में वेफी कोर्स कर रहे हैं. जीत के बाद विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने दोनों को बधाई देना शुरू कर दिया है.

अगर आप मुस्लिम युवक मोहम्मद बसीथ एम से रामायण की उनकी पसंदीदा चौपाई के बारे में पूछें, तो वह तुरंत 'अयोध्यकांड' की चौपाई को दोहरा देंगे, जिसमें लक्ष्मण के क्रोध और भगवान राम की ओर से अपने भाई को दी जा रही सांत्वना का जिक्र है. इसमें भगवान राम साम्राज्य और शक्ति की निरर्थकता को विस्तार से बता रहे हैं.
मोहम्मद बसीथ एम न केवल 'अध्यात्म रामायणम' के छंदों को धाराप्रवाह और मधुरता के साथ प्रस्तुत करेंगे, बल्कि पवित्र पंक्तियों के अर्थ और संदेश को भी विस्तार से बताएंगे. बता दें कि 'अध्यात्म रामायणम' महाकाव्य का मलयालम संस्करण है, जिसे थूंचथु रामानुजन एझुथाचन ने लिखा है. इस प्रतियोगिता का ऑनलाइन आयोजन दिग्गज प्रकाशक कंपनी डीसी बुक्स ने किया था.
उत्तरी केरल जिले के वलांचेरी में केकेएसएम इस्लामिक एंड आर्ट्स कॉलेज में आठ वर्षीय पाठ्यक्रम (वेफी कार्यक्रम) के क्रमशः पांचवें और अंतिम वर्ष के छात्र बसीथ और जाबिर पिछले महीने आयोजित प्रश्नोत्तरी के पांच विजेताओं में से थे. रामायण प्रश्नोत्तरी में इस्लामिक कॉलेज के छात्रों की जीत ने मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचा.
छात्रों ने कहा कि हालांकि वे बचपन से महाकाव्य के बारे में जानते थे, उन्होंने वाफी पाठ्यक्रम में शामिल होने के बाद रामायण और हिंदू धर्म के बारे में गहराई से पढ़ना और सीखना शुरू कर दिया, जिसके पाठ्यक्रम में सभी प्रमुख धर्मों की शिक्षाएं हैं.
जाबिर ने कहा, 'सभी भारतीयों को रामायण और महाभारत महाकाव्यों को पढ़ना और सीखना चाहिए क्योंकि वे देश की संस्कृति, परंपरा और इतिहास का हिस्सा हैं. मेरा मानना है कि इन ग्रंथों को सीखना और समझना हमारी जिम्मेदारी है.'
उन्होंने कहा,''राम को अपने पूज्नीय पिता दशरथ से किए गए वादे को पूरा करने के लिए अपने राज्य का भी त्याग करना पड़ा. सत्ता के लिए अंतहीन संघर्षों के दौर में रहते हुए, हमें राम जैसे पात्रों और रामायण जैसे महाकाव्यों के संदेश से प्रेरणा लेनी चाहिए.''
वहीं बसीथ का कहना है कि व्यापक पठन अन्य धर्मों और इन समुदायों के लोगों को अधिक समझने में मदद करेगा. उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म नफरत को बढ़ावा नहीं देता बल्कि केवल शांति और सद्भाव का प्रचार करता है. उन्होंने कहा कि प्रश्नोत्तरी जीतने से उन्हें महाकाव्य को और गहराई से सीखने की प्रेरणा मिली है.
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