वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के दौरान हुए लॉकडाउन में कई लोगों का रोजगार छिन गया. बेरोजगार हुए लोग डिप्रेशन में हैं, लेकिन डिप्रेशन इतना हावी हो जायेगा, ये किसी ने नहीं सोचा होगा. कानपुर में बरोजगारी झेल रहा एक शख्स इस कदर डिप्रेशन का शिकार हुआ, कि उसने अपने ही सात साल के मासूम बेटे की हत्या कर दी. आरोपी की पत्नी का कहना है कि वह पूरे परिवार को मारना चाहता था. लॉकडाउन के बाद कोई रोजगार नहीं था, जिसके चलते परेशान था.
सीसामऊ थाना क्षेत्र के लकड़मंडी का रहने वाला अलंकार श्रीवास्तव शेयर मार्केट का काम करता था. उसकी पत्नी सारिका कन्नौज के रदौरा गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका है. परिवार में दो बेटियां 16 वर्षीय तूलिका, 10 वर्षीय गीतिका के अलावा सात वर्षीय बेटा था. पत्नी ने बताया कि आज सुबह पति ने उसे बताया कि बेटे की गला दबाकर हत्या कर दी है. इसके बाद पत्नी ने पुलिस को सूचना दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने आरोपी अलंकार श्रीवास्तव को गिरफ्तार कर लिया है.
वहीं महिला ने बताया कि लॉकडाउन के बाद पति अलंकार श्रीवास्तव का काम पूरी तरह बंद हो गया था. बेरोजगार पति डिप्रेशन में रहने लगा. वहीं, बेराजगारी को लेकर उसे ताने भी सुनने को मिल रहे थे. शुक्रवार की रात पति ने दोनों बेटियों और बेटे को नींद की गोलियां मिला हुआ दूध देकर सुला दिया. जिसके बाद बेटे तारुष को गर्मी लगने के कारण बाहर कमरे में ले गया और उसकी गला दबाकर हत्या कर दी. यही नहीं उसने अपनी पत्नी को जगाकर कहा, 'मैंने अपने बेटे को सुरक्षित जगह पहुंचा दिया है, अब वह हमेशा सेफ रहेगा'. पति के यह शब्द सुनते ही पत्नी दौड़कर अपने बेटे के पास गई. जहां उसे उसका बेटा तारुष मृत मिला. पत्नी का कहना है कि उनके पति कभी-कभी बड़बड़ाया करते थे कि वह आत्महत्या कर लेंगे जिसको लेकर उनकी पत्नी उनको यह कहकर समझाया करती थी कि सब ठीक हो जाएगा.
महिला ने बताया कि पति ने सुबह करीब पांच बजे उसे नींद से उठाया और घटना की जानकारी दी. मामले की जानकारी देते हुए एसपी पश्चिम डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि पिता ने अपने बेटे की हत्या की है. आरोपी पति को उसकी पत्नी द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर गिरफ्तार कर कार्रवाई की जा रही है.