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कोर्ट से अपहरण के बाद वकील का मर्डर: जला मिला शव, ट्रक में मिला मोबाइल, फिर...

Shantanu Roy
20 Oct 2020 2:53 AM GMT
कोर्ट से अपहरण के बाद वकील का मर्डर: जला मिला शव, ट्रक में मिला मोबाइल, फिर...
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अपराधियों ने सबूत मिटाने के लिए...

पुणे में कोर्ट से अगवा किए गए वकील की हत्या कर दी गई है. वकील के शव को शहर से 70 किलोमीटर दूर जंगल में फेंका गया था. अपराधियों ने सबूत मिटाने के लिए शव को जलाया और मोबाइल एक ट्रक में डाल दिया था. हालांकि पुणे पुलिस ने 19 दिन बाद तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी चार दिन की पुलिस रिमांड हैं.

मृतक वकील ने जमीन विवाद में हत्या की आशंका पहले जताई थी. दो साल पहले वकील ने एक सरकारी अफसर के खिलाफ दो करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने की शिकायत की थी, जिसके बाद अधिकारी को निलंबित कर दिया गया था. वहीं, वकील के भाई का आरोप है कि निलंबित अफसर कुछ महीनों बाद बहाल करके राजस्व विभाग में भेज दिया गया.

जमीन विवाद में हत्या की आशंका

पुणे पुलिस आयुक्त अमिताभ गुप्ता ने बताया कि 19 दिन पहले वकील उमेश चंद्रशेखर मोरे (32) के अपहरण का मामला दर्ज हुआ था. अब वो मामला सुलझाने में पुणे पुलिस अधिकारियों को कामयाबी मिली है. शुरुआती जांच में जमीन विवाद में हत्या की आशंका जताई जा रही है.

उन्होंने बताया कि एक अक्टूबर की रात को उमेश मोरे की पत्नी ने सहकार नगर पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. दो अक्टूबर की सुबह उमेश मोरे की बाइक पुणे अदालत के गेट नंबर-4 के पास खड़ी पाई गई थी. मोबाइल लोकेशन के जरिए पुणे मार्केट यार्ड इलाके से एक ट्रक ड्राइवर को हिरासत में लिया गया, लेकिन ड्राइवर ने कबूला कि उसे मोबइल ट्रक में मिला था. इस बीच उमेश के परिवार वालों ने 2018 में घटी एक घटना के बारे में पुलिस को बताया. जिसके बाद पुलिस की जांच तेजी से आगे बढ़ी और तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई.

कपिल विलास फलके (34), दीपक शिवाजी वांडेकर (28), रोहित दत्तात्रय (32) को चार दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया है. पूछताछ में जानकारी मिली है कि एक अक्टूबर को उमेश को पुणे जिला अदालत के सामने से अगवा किया गया था. तीन आरोपियों में से एक पुणे जिला अदालत में वकालत करता है और वो एडवोकेट उमेश मोरे को जानता था. 2018 में दोनों के बीच विवाद की बात भी सामने आई है. पुलिस के मुताबिक, उमेश मोरे की हत्या गला दबाकर चलती गाड़ी में ही कर दी गई थी और बाद में सबूत मिटाने के इरादे से ताम्हिणी घाट के जंगल में पेट्रोल डालकर जला दिया गया था.

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