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सांसद को मुख्तार अंसारी से जान का खतरा, खुफिया रिपोर्ट में पुष्टि

Gulabi
12 July 2021 7:00 PM GMT
सांसद को मुख्तार अंसारी से जान का खतरा, खुफिया रिपोर्ट में पुष्टि
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उत्तर प्रदेश से बसपा सांसद अतुल राय ने बाहुबली सांसद मुख्तार अंसारी से अपनी जान को खतरा बताया था. इसी वजह से मुख्तार अंसारी को पंजाब से यूपी के नैनी सेंट्रल जेल में शिफ्ट करने के बजाय बांदा भेजा गया. यह खुलासा प्रयागराज के एसपी इंटेलिजेंस की एक गोपनीय रिपोर्ट से हुआ है.

यूपी की घोसी लोकसभा सीट बसपा सांसद अतुल राय ने इसी साल मार्च में सीएम योगी और एमपी/एमएलए कोर्ट को पत्र लिखकर बसपा के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी से अपनी जान को खतरा बताया था. सांसद ने मुख्तार अंसारी पर उनके खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया था. सांसद अतुल राय ने पत्र में सीएम और कोर्ट से अपील करते हुए कहा था कि मुख्तार अंसारी को नैनी जेल में शिफ्ट ना किया जाए क्योंकि वो उनके लिए खतरा बन सकते हैं.

इसी के बाद मऊ के विधायक मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल से यूपी की बांदा जेल में लाया गया था. दरअसल, सांसद अतुल राय की गुहार पर प्रयागराज के एसपी इंटेलिजेंस ने इस मामले में एक खुफिया जांच की थी. जिसमें उन्होंने अतुल राय की जान को खतरा होने की बात की पुष्टि की थी.
लेकिन अतुल राय के खत के दो मायने निकाले जा रहे हैं. पहला यह कि अतुल राय ने यह लेटर मुख्तार को बचाने के लिए लिखा है. क्योंकि वह उनके ही आदमी हैं. दूसरा यह कि अतुल राय को वास्तव में मुख्तार से खतरा है क्योंकि उन्होंने मुख्तार ही नहीं उनके परिवार का सपना तोड़ा है. परिस्थितियां ऐसी हो गईं कि अतुल राय पर मुख्तार का आदमी होने का ठप्पा लग गया. अब अतुल राय इस ठप्पे से आजादी चाहते हैं. राजनीति में उनकी हैसियत मुख्तार से बड़ी हो चुकी है. आगे की राजनीति करनी है तो मुख्तार की छत्रछाया से बाहर निकलना ही होगा. सांसद अतुल राय रेप के मामले में नैनी जेल में बंद हैं.
गौरतलब है कि 6 मार्च 2020 में वाराणसी के तत्कालीन एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने सांसद अतुल राय के पिता के पुनर्विवेचना पत्र और साक्ष्यों के आधार पर एसपी सिटी वाराणसी और सीओ भेलूपुर से जांच कराई थी. जिसमें आपराधिक साज़िश की बात सामने आई थी. दोनों ही अधिकारियों ने अग्रिम विवेचना की संस्तुति की थी. लेकिन वाराणसी के पुलिस कमिश्नर ने अग्रिम विवेचना का आदेश पारित नहीं किया था. माना जा रहा था कि मामला विपक्ष के सांसद का है, लिहाजा इस केस में पक्षपात किया गया था.
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