x
बड़ी खबर
Meerut. मेरठ। 'मेरी पत्नी मेरे साथ है, यहां कह सकते हैं। मैं पत्नी के साथ हूं। मैं राजनीति में आना नहीं चाहता था। मुझे यहां भेज दिया गया। या राम जी ने जिसके भी मन में बात डाली। उसने भेज दिया। मेरी सड़क बनवा दो, श्मशान की दीवार बनवा दो। नाली ठीक करवा दो। पानी की व्यवस्था करवा दो। ये लोगों की मांगें अपनी जगह ठीक हैं। लेकिन, मैं ये नहीं मानता हूं कि मैं सिर्फ इन चीजों के लिए आया हूं। मेरी जो शुरुआत घर-घर में आने वाले रामायण से है।' ये कहना है कि मेरठ सांसद अरुण गोविल का। मेरठ में सोमवार को प्रेस वार्ता कर अरुण गोविल ने कहा-5 साल में देश में 11 लाख रामायण बांटेंगे। घर-घर रामायण अभियान के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा हूं। 22 जनवरी को किठौर और हापुड़ से वे इसकी शुरुआत करेंगे।
रामजी की कृपा से ऐसा कर पाऊंगा। रामायण पढ़ने का असर देश, समाज पर पड़ेगा। रामायण हमारी धरोहर है। सांसद होना बाद में पहले मैं भारत का नागरिक हूं। ये सब करना मेरा कर्तव्य है। अरुण गोविल ने कहा-रामायण में दुश्मनों में भी रिश्ता दिखाई देता है। रामायण को 10 प्रतिशत भी जीवन में उतार लें तो कल्याण होगा। रामायण, पारिवारिक, सामाजिक रिश्तों का संग्रह है। हम खुद अपने जीवन में ज्यादा समस्याएं पैदा करते हैं। घर में शांति नहीं तो काम नहीं कर पाएंगे। पारिवारिक शांति बेहद जरूरी। रामायण जो हमें देती है हमें लेना नहीं आता। जिंदगी में सुखी रहने को पॉजिटिवनेस जरूरी। उन्होंने कहा कि मैं फेम के लिए ये सब नहीं कर रहा हूं। इस मौके पर उन्होंने "घर घर रामायण डॉट कॉम" वेबसाइट भी लॉन्च की।
रामायण में ‘श्रीराम’ का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल के पास स्टारडम के अलावा उनका मेरठ कनेक्शन भी है। उनका जन्म 12 जनवरी 1958 को मेरठ कैंट में हुआ। उनके पिता चंद्रप्रकाश गोविल मेरठ नगर पालिका से जलकल अभियंता थे। अरुण गोविल की शुरुआती पढ़ाई मेरठ के एक स्कूल में ही हुई। इसके बाद मेरठ के चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। उनके पिता चाहते थे कि वह एक सरकारी कर्मचारी बने, जबकि अरुण कुछ ऐसा करना चाहते थे जिसके लिए उन्हें याद किया जाए। अरुण 6 भाई और 2 बहनों में चौथे नंबर के हैं। गोविल ने अभिनेत्री श्रीलेखा से शादी की है। उनके दो बच्चे हैं, सोनिका और अमल। 1975 में 17 साल की उम्र में अरुण मुंबई आ गए थे, जहां उनके भाई का सैटल्ड बिजनेस था।
मुंबई आने के बाद अरुण गोविल अपने भाई के काम में हाथ बंटाते थे, लेकिन उनका लक्ष्य कुछ और था। उन्होंने थिएटर ज्वाइन किया और कुछ ड्रामा में काम किया करते थे और इसके बाद उन्होंने डिसाइड कर लिया कि वो एक्टिंग करेंगे। काफी मशक्कत के बाद उन्हें एक फिल्म 'पहेली' (1977) मिल गई। अरुण गोविल को पहला मौका उनकी भाभी तबस्सुम के जरिए ही मिला, ऐसा उन्होंने एक टॉक शो में बताया था। इसके बाद साल 1979 में उनकी दूसरी फिल्म 'सावन को आने दो' और 'सांच को आंच नहीं' आई। ये दोनों फिल्में सफल हुईं। इसके बाद अरुण गोविल ने 'लव कुश', 'ससुराल', 'शिव महिमा', 'गंगा धाम', 'जुदाई', 'जियो तो ऐसे जियो', 'राधा और सीता', 'मुकाबला', 'हुकुस बुकुस', 'ओएमजी 2' और 'आर्टिकल 370' जैसी कई फिल्मों में काम किया है।
Tagsजनता से रिश्ता न्यूज़जनता से रिश्ताआज की ताजा न्यूज़हिंन्दी न्यूज़भारत न्यूज़खबरों का सिलसिलाआज की ब्रेंकिग न्यूज़आज की बड़ी खबरमिड डे अख़बारहिंन्दी समाचारजनताJanta Se Rishta NewsJanta Se RishtaToday's Latest NewsHindi NewsIndia NewsKhabron Ka SilsilaToday's Breaking NewsToday's Big NewsMid Day Newspaperjantasamachar newssamacharHindi news
Shantanu Roy
Next Story