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एमओयू मामला: केंद्र सरकार यूपी को एमओयू पर दस्तखत करने पर देगा 54 करोड़ रुपये की सहायता

Admin Delhi 1
16 July 2022 10:48 AM GMT
एमओयू मामला: केंद्र सरकार यूपी को एमओयू पर दस्तखत करने पर देगा 54 करोड़ रुपये की सहायता
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लेटेस्ट न्यूज़: यूपी सहित सात राज्य वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर की कार्यवाही अटकाए हुए हैं। यूपी यदि एमओयू पर हस्ताक्षर कर भेजे तो उसे 54.5 करोड़ रुपये की सहायता मिल सकती है। जिन 25 राज्यों ने एमओयू से संबंधित कार्यवाही पूरी कर दी है, उन्हें चालू वित्त वर्ष की पहली किस्त के 184 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। द्र सरकार के एक उच्च स्तरीय अधिकारी ने बताया कि वित्त वर्ष 2022-23 में राज्यों से नए लैब की स्थापना, अधिकृत प्राइवेट लैब में भी खाद्य पदार्थों की जांच, खाद्य पदार्थ बेचने वालों के प्रशिक्षण तथा जन-जागरूकता (प्रचार-प्रसार) आदि कार्यों के लिए राज्यों से प्रस्ताव मांगे गए थे। 34 राज्यों ने इसके लिए अपने प्रस्ताव उपलब्ध कराए। राज्यों को सहायता प्राप्त करने के लिए प्राधिकरण के साथ एक एमओयू करना था। प्राधिकरण का प्रयास था कि राज्य एमओयू व अन्य औपचारिकता तेजी से पूरी कर दें ताकि उन्हें वित्त वर्ष के प्रारंभ में ही पहली किस्त जारी कर दी जाए, जिससे वह धनराशि का बेहतर तरीके से उपयोग भी कर सकें। इसके लिए उन्हें एमओयू का ड्राफ्ट हस्ताक्षर के लिए मार्च से अप्रैल 2022 के बीच में ही भेज दिया गया था। इनमें से अब तक 25 राज्यों ने ही एमओयू कर अपने डॉक्यूमेंट पूरे किए हैं। इन्हें पहली किस्त में 184 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं।

अधिकारी ने बताया, यूपी सहित छह राज्य व एक केंद्र शासित प्रदेश ने अब तक एमओयू पर हस्ताक्षर कर प्राधिकरण को नहीं लौटाए हैं। इससे उन्हें धनराशि का आवंटन नहीं हो पा रहा है। यूपी को इन कार्यों के लिए पहली किस्त में 32 करोड़ व पूरे वित्त वर्ष में 54.50 करोड़ रुपये दिए जाने हैं। अधिकारी के मुताबिक, यूपी को इन कार्यों के लिए वित्त वर्ष 2021-22 में 17.34 करोड़ रुपये दिए गए थे। उसका उपभोग प्रमाणपत्र भी नहीं उपलब्ध कराया गया है। उपभोग न किया हो तो धनराशि लौटा देनी चाहिए।

इस वर्ष राज्यों के लिए 512 करोड़ का बजट: राज्यों के पास खाद्य पदार्थों की सैंपलिंग व जांच आदि के लिए संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता नहीं है। कई राज्य जितने सैंपल लेने का लक्ष्य तय करते हैं, उतनी भी जांच की क्षमता नहीं होती। उनके बजट का बड़ा हिस्सा वेतन व अन्य कार्यों में ही खर्च हो जाता है। प्राधिकरण ने राज्यों की खाद्य सुरक्षा से जुड़ी जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए उन्हें आर्थिक व तकनीकी तौर पर सपोर्ट करने के लिए करीब 512 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है।

इन राज्यों ने अब तक एमओयू पर नहीं किए हस्ताक्षर: यूपी, पंजाब, मध्य प्रदेश, झारखंड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश व चंडीगढ़ (केंद्र शासित)। तेलंगाना व आंध्र प्रदेश इस पहल में अब तक शामिल ही नहीं हुए हैं। हरियाणा व पुडुचेरी के प्रस्ताव विचाराधीन हैं।

यूपी को मदद की मुख्य मदें:

लैब की स्थापना 28.00 करोड़

प्रचार-प्रसार 18.00 करोड़

प्राइवेट लैब से जांच 5.00 करोड़

ठेले -खोमचे, स्ट्रीट वेंडर को प्रशिक्षण 1.00 करोड़

सैंपल लेने के लिए वाहन सुविधा 2. 00 करोड़

ऑफिस व्यवस्था, कैंप आदि 0.50 करोड़

यूपी सहित सात राज्यों को एमओयू पर हस्ताक्षर कर लौटाना है, जिसका इंतजार किया जा रहा है। एमओयू हस्ताक्षर होकर आते ही धनराशि जारी करने की कार्यवाही की जाएगी।

आरके मित्तल, हेड रेगुलेटरी कंप्लायंस-एफएसएसएआई

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