हिमाचल प्रदेश के किन्नौर (Kinnaur Landslide) में रविवार को हुए हादसे की चपेट में कोल नगरी पाथाखेड़ा की होनहार छात्रा प्रतीक्षा भी आ गई थीं. किन्नौर भू-स्खलन में उनकी मौत हो गई. प्रतीक्षा पेशे से इंजीनियर थीं और IIT खड़कपुर से B.Tech. और M.Tech. किया था. वह घूमने के लिए हिमाचल प्रदेश गयी थीं, लेकिन उन्हें क्या पता था कि यह उनके जीवन की आखिरी साबित होगी. उनके पिता कोल माइन में मैनेजर हैं. खबर मिलते ही परिवार हिमाचल के लिए रवाना हो गया. किन्नौर में जिस वक्त लैंडस्लाइड हुआ, उस समय प्रतीक्षा अपनी मां से वीडियो कॉल पर बात कर रही थीं. वह मां को हिमाचल की खूबसूरती दिखा रही थीं. यह समय करीब 1:30 बजे का था. उसी दौरान अचानक कॉल डिसकनेक्ट हो गया और फिर प्रतीक्षा से संपर्क नहीं हो पाया. परिवार को लगा कि नेटवर्क की दिक्कत है. इसी बीच शाम 5 बजे परिवार को वह खबर मिली जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी. हिमाचल में लैंडस्लाइड हो गया था और उसकी चपेट में आने से प्रतीक्षा की मौत हो गई थी. इस प्राकृतिक हादसे में 9 लोगों की मौत हो गई.
प्रतीक्षा के पिता सुनील दिवाकर पाटिल वेस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) पाथाखेड़ा की तवा-1 खदान में अंडर मैनेजर हैं. उन्होंने बताया उनकी बेटी बहुत ही होनहार थी. प्रकृति से इतना ज्यादा प्यार था कि चाहकर भी हम उसे हिमाचल प्रदेश जाने से नहीं रोक पाए. सोमवार को प्रतीक्षा घूमने के लिए नागपुर से हिमाचल के लिए रवाना हुई थीं. वो अलग-अलग लोकेशन से प्राकृतिक सौंदर्य को मोबाइल में कैद कर मां से वीडियो कॉल पर बात करती थीं. प्रतीक्षा की मौत की खबर से हमारे पैरों तले मानो जमीन खिसक गई है.
किन्नौर लैंडस्लाइड का शिकार हुईं प्रतीक्षा के पिता ने बताया उनकी बेटी ने आईआईटी खड़गपुर से बी-टेक और एम-टेक किया था. उसके बाद डीएचएल मुंबई और फिर टीवीएस पुणे में जॉब किया. 18 महीने के हायर एजुकेशन के लिए स्पेन जाने के लिए उन्होंने सर्विस से रिजाइन कर दिया था. इसी बीच कोरोना संक्रमण फैल गया और स्पेन में एडमिशन नहीं मिला. प्रतीक्षा को प्रकृति से प्यार था. इसलिए वह अक्सर पहाड़ी क्षेत्रों और विदेश घूमने जाती थीं.
प्रतीक्षा के पिता ने बताया कि बेटी ने अपनी मां से हिमाचल प्रदेश घूमने की इच्छा जताई तो मां ने बारिश के मौसम में जाने से मना किया था, लेकिन फिर उसने कहा कि एडमिशन मिलते ही पढ़ाई के लिए विदेश चली जाउंगी, इसलिए फिर घूमने नहीं मिलेगा. यह सुनकर प्रतीक्षा की मां ने उन्हें बेटी को हिमाचल जाने की इजाजत दे दी. पिता कहते हैं कि मुझे इस बात का जरा भी अंदाज नहीं था कि जिस प्रकृति से मेरी बेटी को इतना प्यार था, उसी प्रकृति की गोद में वो इतनी जल्दी हमेशा के लिए सो जाएगी.