भारत

तीर्थराज कपाल मोचन में 8 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई प्रकाशपर्व पर डुबकी

admin
27 Nov 2023 10:39 AM GMT
तीर्थराज कपाल मोचन में 8 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई प्रकाशपर्व पर डुबकी
x

यमुनानगर। तीर्थराज कपाल मोचन का नज़ारा देखते ही बन रहा था। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, जिसे देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले लाखों श्रद्धालु पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ हर साल कार्तिक पूर्णिमा की रात 12 बजते ही इसी तरह निभाते चले आ रहें है। इस अवसर पर लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए स्थानीय प्रशासन द्वारा भी विशेष इंतजाम किए गए थे। कपाल मोचन स्थित प्रमुख गुरूद्वारा साहिब एवं गाय बच्छा घाट मंदिर किसी दुल्हन की तरह सजाया गया है। गए थे और लोगों की आस्था देखते ही बन रही थी।

विशेष बात यह भी है कि इस तीर्थ में हिंदू, सिख और मुस्लिम तीनों धर्म मज़हब के लोगों की आस्था है। श्रद्धालु कपाल मोचन स्थित एतिहासिक एवं पवित्र सरोवर, ब्रह्मसरोवर, ऋण मोचन एवं सूर्यकुण्ड में आस्था की डुबकी लगाते हैं और सदियों से चले आ रहे पारंपरिक तौर-तरीकों से दीप दान भी करते है। कपाल मोचन तीर्थ स्वयं में प्राचीन इतिहास समेटे हुए है। पुराणों के अनुसार कपाल मोचन तीर्थ तीनों लोकों के पाप से मुक्ति दिलाने वाला स्थल है। इसके पवित्र सरोवरों में स्नान करने से ब्रहम हत्या जैसे महापाप का निवारण होता है।

आदि काल में कार्तिक पूर्णिमा की अर्धरात्रि के समय ही भगवान शिव की ब्रह्म कपाली इसी कपाल मोचन सरोवर में स्नान करने से दूर हुई थी। दसवीं पातशाही श्री गुरु गोबिंद सिंह जी भी इस स्थान पर आकर चंडीयज्ञ कर चुकें हैं और यहां के मुख्य पुजारी को खुद अपने हाथों से लिखकर एक ताम्रपत्र भी देकर गए हैं, जो आज भी यहां मौजूद है। मुगलकाल के दौरान अकबर साम्राज्य के परगना सढौरा के काजी फिमूदीन भी यहां आए और उन्हें संतान सुख की प्राप्ती हुई। उन्हीं के वंशज के रूप मे सढौरा में आज भी काजी महौल्ला आबाद है। इसी कारण हिन्दू व सिखों के अलावा मुस्लमान भी कपाल मोचन तीर्थ एवं मेला के प्रति गहरी श्रद्धा रखते हैं।

Next Story