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हिमाचल प्रदेश में मौजूद है 500 साल से ज्यादा पुरानी ''ममी'', बढ़ रहे बाल और नाखून, जाने रहस्य

Shiddhant Shriwas
15 Sep 2021 1:30 PM GMT
हिमाचल प्रदेश में मौजूद है 500 साल से ज्यादा पुरानी ममी, बढ़ रहे बाल और नाखून, जाने रहस्य
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हिमाचल प्रदेश के गयू गांव में एक 550 साल पुरानी ममी है। यह गांव स्पीति घाटी के ठंडे रेगिस्तान में समुद्र तल से करीब 10,499 फीट की ऊंचाई पर स्थित है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिमाचल प्रदेश के गयू गांव में एक 550 साल पुरानी ममी है। यह गांव स्पीति घाटी के ठंडे रेगिस्तान में समुद्र तल से करीब 10,499 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। भारत चीन सीमा के पास मौजूद यह गांव अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है, लेकिन इस गांव में 550 साल पुरानी ममी को देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं।

लाहौल स्पीति घाटी की ऐतिहासिक ताबो मठ(Tabo Monastery) से करीब 50 किमी दूर भारत-चीन सीमा पर स्थित गयू गांव साल में 6-8 महीने बर्फ से ढके रहने की वजह से दुनिया से कटा रहता है। लेकिन इस ममी को देखने के लिए यहां देश-विदेश से सैलानी पहुंचते हैं। यहां के लोगों की इस ममी के प्रति अगाध श्रद्धा है।

करीब 550 साल पुरानी इस 'ममी' को भगवान समझकर लोग पूजते हैं। लोग इसे जिंदा भगवान मानते हैं। भारत तिब्बत सीमा पर हिमाचल के लाहौल स्पीति के गयू गांव में मिली इस 'ममी' का रहस्य आज भी बरकरार है। तभी तो हर साल हजारों लोग इसे देखने के लिए देश विदेश से यहां पहुंचते हैं। कहा जाता है कि यहां मिली यह ममी तिब्बत से गयू गांव में आकर तपस्या करने वाले लामा सांगला तेनजिंग की है।

कहा जाता है कि लामा ने साधना में लीन होते हुए अपने प्राण त्याग दिए थे। तेनजिंग बैठी हुई अवस्था में थे। उस समय उनकी उम्र मात्र 45 साल थी। दुनिया में यह एकमात्र ममी है जो बैठी हुई अवस्था में है। इस ममी की वैज्ञानिक जांच में इसकी उम्र 550 साल पायी गयी है। ममी बनाने में एक खास किस्म का लेप मृत शरीर पर लगाया जाता है, लेकिन इस ममी पर किसी किस्म का लेप नहीं लगाया है फिर भी इतने वर्षों से यह ममी कैसे सुरक्षित है? यह राज अभी भी बरकरार है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि लोग बताते हैं कि इस ममी के बाल और नाखून आज भी बढ़ रहे हैं। यह बात जानकर आपको यकीन नहीं हो रहा होगा, लेकिन इस बात को स्थानीय लोग बिल्कुल सच बताते हैं। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) को सड़क निर्माण कार्य के दौरान यह ममी मिली थी।

1975 में यहां आए भूकम्प में यह ममी जमीन में दफ़न हो गयी थी। 1995 में आईटीबीपी के जवानों को सड़क बनाते समय खुदाई में यह ममी फिर मिल गई। कहते हैं कि खुदाई के समय इस ममी के सिर पर कुदाल लगने से खून तक निकल आया था, जो कि सामान्य तौर पर संभव नहीं है।

ममी पर इस ताजा निशान को आज भी देखा जा सकता है। 2009 तक यह ममी ITBP के कैम्पस में रखी हुई थी। देखने वालों की भीड़ देखकर बाद में इस ममी को अपने गांव में स्थापित कर लिया गया। गयू गांव पहुंचने के लिए आप शिमला और मनाली दोनों जगहों से जा सकते हैं।

पेनसेल्वेनिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ता विक्टर मैर के मुताबिक, गयू में स्थापित ममी लगभग 550 साल पुरानी है। सैंकड़ों वर्ष पहले बौद्ध भिक्षुओं का व्यापार के सिलसिले में भारत और तिब्बत के मध्य आना जाना था। उस समय एक बौद्ध भिक्षु सांगला तेनजिंग यहां मेडिटेशन की मुद्रा में बैठे और फिर उठे ही नहीं। उस समय ही इनके शरीर को एक स्तूप में संभाल कर रख लिया गया था।

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