अलर्ट! 2000 से ज्यादा मरीज एचआईवी से संक्रमित…हैरान कर देगी ये खबर
गोरखपुर: ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) संक्रमितों में मंकीपॉक्स का भी खतरा है। दुनियाभर में मंकीपॉक्स पर हुई 53 रिसर्च की मेटा एनालिसिस में सामने आया कि करीब 41 प्रतिशत मरीज पहले एचआईवी संक्रमित हुए। इसके बाद मंकीपॉक्स की चपेट में आए। यह रिसर्च इंटरनेशनल जर्नल पबमेड के अक्तूबर अंक में प्रकाशित हुई है।
यह मेटा एनालिसिस रिसर्च भारत, पेरू और नेपाल के नौ विशेषज्ञों की टीम ने की है। इस रिसर्च में एम्स गोरखपुर भी शामिल रहा। रिसर्च को कोआर्डिनेट करने वाले एम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के शिक्षक डॉ. अरूप मोहंती ने बताया कि विश्व में मंकीपाक्स और एचआईवी दोनों बीमारियों बढ़ रही है। इन दोनों के बीच अंतर संबंध जानने के लिए यह रिसर्च की गई।
डॉ. मोहंती ने बताया कि यह मेटा एनालिसिस मंकीपॉक्स से जूझ रहे 6345 मरीजों पर 32 देशों में हुई रिसर्च के आधार पर की गई। इसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। मंकीपाक्स से जूझ रहे 2558 मरीज एचआईवी से संक्रमित रहे। माना जा रहा है कि उन्हें पहले एचआईवी संक्रमण हुआ। इनमें से 53 फीसद पुरुष और 47 फीसद महिलाएं हैं। एचआईवी संक्रमित पुरुषों में कुछ समलैंगिक भी रहे। हालांकि इनमें अपने देश का कोई मरीज शामिल नहीं है।
डॉ. मोहंती बताते हैं कि भारत समेत कई देशों में मंकीपॉक्स दस्तक दे चुका है। वर्ष 2022 में केरल व दिल्ली में मंकीपाक्स के मामले सामने आए थे। यह संक्रामक रोग है। संक्रमित व्यक्ति या जानवर के संपर्क में आने से यह बीमारी होती है। मंकीपॉक्स का संबंध ऑर्थोपॉक्स वायरस परिवार से है। जो चेचक की तरह दिखाई देती है। इसमें वैरियोला वायरस भी शामिल है। इस वायरस के चलते स्मॉल पॉक्स यानी छोटी चेचक होती है।
यह संक्रमित जानवर या व्यक्ति के शरीर से निकले लार, पसीना, त्वचा, उपयोग किए गये वस्तुओं के संपर्क में आने से मंकीपॉक्स फैलता है। चूहों, गिलहरियों और बंदरों द्वारा यह अधिक फैलता है। यह मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से भी होता है।