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भारत निर्मित सबसे घातक युद्धपोतों में शामिल 'मोमूर्गाओ' बना नौसेना का हिस्सा

Rani Sahu
18 Dec 2022 2:10 PM GMT
भारत निर्मित सबसे घातक युद्धपोतों में शामिल मोमूर्गाओ बना नौसेना का हिस्सा
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नई दिल्ली, (आईएएनएस)| पी15बी स्टेल्थ गाइडेड प्रेक्षपास्त्र विध्वंसक 'मोमूर्गाओ युद्ध पोत' को रविवार 18 दिसंबर को नौसेना में शामिल किया गया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में मोमूर्गाओ युद्ध पोत मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में नौसेना का हिस्सा बना। इसका डिजाइन भारतीय नौसेना के स्वदेशी संगठन ने तैयार किया है और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड, मुंबई ने निर्माण किया है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि मोमूर्गाओ उत्कृष्ट हथियारों और दूरसंवेदी उपकरणों से लैस है, जैसे जमीन से जमीन पर तथा जमीन से हवा में मार करने वाले मिसाइल। पोत में आधुनिक निगरानी राडार लगा है, जो पोत की तोप संचालन प्रणाली से जुड़ा है तथा लक्ष्य के बारे में सीधे तोप प्रणाली को सूचित कर देता है। पोत की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं को देश में ही विकसित किया गया है तथा पोत में रॉकेट लॉन्चर, तारपीडो लॉन्चर और एसएडब्लू हेलीकॉप्टर की व्यवस्था है। पोत आणविक, जैविक और रासायनिक युद्ध परिस्थितियों से लड़ने में सक्षम है।
इस पोत की अनोखी विशेषता यह है कि इसमें लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा पूर्ण रूप से स्वदेशी है और इसे हमारे राष्ट्रीय लक्ष्य 'आत्मनिर्भर भारत' के तहत निर्मित किया गया है। अनेक उपकरणों का स्वदेशीकरण किया गया है, जिनमें जमीन से जमीन व जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, तारपीडो ट्यूब्स और लॉन्चर, पनडुब्बी रोधी रॉकेट लॉन्चर, एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली, स्वचलित ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली, फोल्डेबल हैंगर डोर, हेलो ट्रैवर्सिग प्रणाली, क्लोज-इन युद्धक प्रणाली तथा पोत के अग्र भाग पर लगी सोनार प्रणाली शामिल है।
इस शानदार पोत की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर तथा वजन 7400 टन है। यह भारत द्वारा निर्मित सबसे घातक युद्धपोतों में से एक है। पोत को शक्तिशाली चार गैस टर्बाइनों से गति मिलती है, जो सीओजीएजी पैमाने के हैं। पोत पलक झपकते 30 समुद्री मील तक की गति पकड़ सकता है। राडार भी पोत को आसानी से नहीं पकड़ सकता।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आईएनएस मोमूर्गाओ को सबसे शक्तिशाली स्वदेश निर्मित युद्धपोतों में से एक बताया, जो देश की समुद्री क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगा और राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करेगा।
उन्होंने कहा कि आईएनएस मोमूर्गाओ दुनिया के सबसे तकनीकी रूप से उन्नत मिसाइल वाहकों में से एक है। 75 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ, यह युद्धपोत भारत की उत्कृष्टता और हमारी बढ़ती स्वदेशी रक्षा उत्पादन क्षमताओं का एक चमकदार उदाहरण है। युद्धपोत हमारे देश के साथ-साथ दुनिया भर में हमारे मित्र देशों की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को पूरा करेगा।
राजनाथ सिंह ने आईएनएस मोमूर्गाओ को कमीशन करने के लिए भारतीय नौसेना और एमडीएल की सराहना की और इसे इंजीनियरों, तकनीशियनों, डिजाइनरों और वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत, समर्पण और आकांक्षाओं का परिणाम बताया।
उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए बहुत गर्व की बात है। रक्षा मंत्री ने न केवल समुद्री हितों की रक्षा करने, बल्कि सामाजिक-आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए पूरे देश की ओर से भारतीय नौसेना को बधाई दी।
रक्षा मंत्री ने हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के हितों की रक्षा करना नौसेना की प्रमुख जिम्मेदारी बताया। उन्होंने कहा, हमारी बढ़ती अर्थव्यवस्था सीधे तौर पर बढ़ते व्यापार से जुड़ी है, जिनमें से अधिकांश समुद्री मार्गो के माध्यम से है। हमारे हित सीधे तौर पर हिंद महासागर से जुड़े हैं। इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण देश होने के कारण इसकी सुरक्षा में भारतीय नौसेना की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। यह देखकर खुशी होती है कि वे अपने कर्तव्यों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर रहे हैं।"
--आईएएनएस
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