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जिस तरह से ईस्ट इंडिया कंपनी को हटाया, उसी तरह मोदी-शाह को हटाना है: किसानों की महापंचायत में हुंकार

HARRY
5 Sep 2021 9:00 AM GMT
जिस तरह से ईस्ट इंडिया कंपनी को हटाया, उसी तरह मोदी-शाह को हटाना है: किसानों की महापंचायत में हुंकार
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मुजफ्फरनगर में किसानों की महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) हो रही है. ये महापंचायत जीआईसी ग्राउंड पर हो रही है, जिसमें शामिल होने के लिए यूपी के अलावा पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे 15 राज्यों से किसानों के जुटने का दावा है. दिल्ली के बॉर्डर पर जो लंबे समय से आंदोलन चल रहे हैं वहां से भी किसान इस महापंचायत में शामिल होने जा रहे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा का दावा है कि ये अब तक की सबसे बड़ी महापंचायत होगी. वहीं, महापंचायत को देखते हुए मुजफ्फरनगर में सुरक्षा भी कड़ी है. संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि यहां जुटी भीड़ किसानों की 'ताकत' दिखाती है. किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं.

किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा कि 8 अप्रैल 1857 को मेरठ में बगावत हुई थी और उसने अंग्रेजी शासन खत्म कर दिया था. अब उसी तरह का जोश मुजफ्फरनगर में दिख रहा है. जिस तरह से ईस्ट इंडिया कंपनी को हटाया, उसी तरह मोदी-शाह को हटाना है. उन्होंने बताया कि अगर मीटिंग 9 और 10 सितंबर को लखनऊ में गन्ने को लेकर होगी.

कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर कहा कि देश किसानों के साथ है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि किसानों की हुंकार के सामने सत्ता का अहंकार नहीं चलता. खेती-किसानी बचाने और अपनी मेहनत का हक मांगने की लड़ाई में देश आपके साथ है.
मंच पर किसानों के कई बड़े नेता मौजूद हैं. ये वो नेता हैं जिन्होंने पिछले 10 महीने से चले आ रहे किसान आंदोलन का नेतृत्व किया है. इनमें राकेश टिकैत के अलावा योगेंद्र यादव समेत कई किसान संगठनों के नेता मौजूद हैं. जीआईसी मैदान इस वक्त किसानों की भीड़ से पटा हुआ है. सिर्फ जमीन ही नहीं बल्कि दीवारों पर भी लोग खड़े हुए हैं.
महापंचायत को लेकर एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार का कहना है कि अब तक सबकुछ सही तरीके से चल रहा है और जहां भीड़ है वहां सीसीटीवी से नजर रखी जा रही है. आयोजकों से भी बात कर ली गई है कि कोई भी असामाजिक या उपद्रवी तत्व उनके बीच ने आ जाए, जिससे कोई गड़बड़ी हो. किसान आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा है. विश्वास है कि ये रैली सकुशल संपन्न होगी और जब तक सारे किसान वापस नहीं चले जाते, तब तक सारी व्यवस्थाएं बनी रहेंगी.
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