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किसानों की खुशहाली पर जोर के साथ कई योजनाओं लेकर आई मोदी सरकार, जीरो बजट खेती का भी है मंत्र

Apurva Srivastav
29 Jan 2022 6:39 PM GMT
किसानों की खुशहाली पर जोर के साथ कई योजनाओं लेकर आई मोदी सरकार, जीरो बजट खेती का भी है मंत्र
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भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता रहा है। देश में खेती-किसानी करने वालों की संख्या कम हुई है, लेकिन खाद्यान्न उत्पादन में हम काफी आगे बढ़े हैं।

नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता रहा है। देश में खेती-किसानी करने वालों की संख्या कम हुई है, लेकिन खाद्यान्न उत्पादन में हम काफी आगे बढ़े हैं। मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही किसानों के लिए कई योजनाओं लेकर आई है। लक्ष्य है किसानों की आय बढ़ाना। हाल ही में प्रधानमंत्री ने जीरो बजट खेती का मंत्र भी दिया है। कृषि कानूनों की वापसी के बाद कृषि सुधार की राह जारी रखने के लिए सरकार को खास प्रयास करने होंगे।

54.6 प्रतिशत
वर्ष 2011 की जनसंख्या के अनुसार, देश की 54 प्रतिशत से अधिक आबादी कृषि क्षेत्र से जुड़ी है।
आंकड़े
50 प्रतिशत
देश में स्वतंत्रता के पश्चात पहले दस वर्ष में जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत था। 2015-16 में यह 15.4 प्रतिशत रह गया।
17.8 प्रतिशत
वर्ष 2019-20 में देश के सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) में कृषि और संबंधित गतिविधियों का योगदान 17.8 प्रतिशत रहा।
3.6 प्रतिशत
वर्ष 2020-21 में कृषि क्षेत्र ने विपरीत परिस्थितियों में भी विकास दर को संभाला। जब जीडीपी नकारात्मक हो गई थी, तब भी कृषि की दर 3.6 प्रतिशत रही।


बढ़ते निर्यात से आस

कभी विदेश से खाद्यान्न मंगाने पर विवश रहने वाला भारत अब कई देशों को अनाज व अन्य फसलों का निर्यात करता है। वर्ष 2020-21 में कृषि एवं संबद्ध उत्पादों का निर्यात 22.62 प्रतिशत बढ़ा। वर्ष 2019-20 में 2.49 लाख करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था, जो 2020-21 में 3.05 लाख करोड़ रुपये हो गया। गैर-बासमती चावल का निर्यात 136.04 प्रतिशत और गेहूं का 774.17 प्रतिशत बढ़ा। अमेरिका, चीन, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, वियतनाम, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, नेपाल, ईरान और मलेशिया हमारे लिए सबसे बड़े बाजार हैं। अदरक, काली मिर्च, दाल चीनी, इलायची, हल्दी और केसर के निर्यात में 2020-21 में बड़ी वृद्धि दर्ज की गई।
देश में बन रहे नये निर्यात हब
-वाराणसी से ताजी सब्जियों तथा चंदौली से काले चावल का देश ने पहली बार निर्यात किया। जून 2021 तक एफपीओे के जरिये 48 एमटी ताजी सब्जियां (हरी मिर्च, हरी मटर, ककड़ी आदि), 10 एमटी आम और 532 एमटी काले चावल का निर्यात किया गया।
-नागपुर से संतरे, अनंतपुर से केले व लखनऊ से आम निर्यात किए गए।
-देश के पूर्वोत्तर भाग को भी लाभ मिला और उत्पाद दूसरे देशों को भेजे गए।
-निर्यात बढ़ाने के लिए 46 अनूठे उत्पाद जिला क्लस्टरों की पहचान की गई है। फार्मर प्रोड्यूसर संगठन (एफपीओ) तथा निर्यातकों को एक मंच पर लाने के लिए अपीडा के जरिये कदम उठाया।
-परिवहन और लाजिस्टिक की समस्याओं का समाधान कर लैंड लाक्ड क्लस्टरों से निर्यात संभव बनाया गया।
ऐसे हो रहा धन आवंटन
-सरकार द्वारा बीते वर्षो में कृषि क्षेत्र में ढांचा निर्माण के लिए एक लाख करोड़ रुपये की धनराशि सुनिश्चित की गई। सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करणों (एमएफई) के लिए 10 हजार करोड़ रुपये की योजना की घोषणा की जा चुकी है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के लिए 20 हजार करोड़ रुपये, राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम तथा पशुपालन ढांचा निर्माण के लिए 15 हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था की बात की गई है।
बढ़ता उत्पादन और आर्थिक सहायता
-भारत का खाद्यान्न उत्पादन बढ़ रहा है। वर्ष 2020-21 के दौरान खाद्यान्न उत्पादन बीते पांच वर्षो की तुलना में 29.77 मिलियन टन अधिक रहा।
-केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, 2021-22 के खरीफ सीजन में 150.50 मिलियन टन रिकार्ड खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान है।
-वर्ष 2019-20 में निर्धारित सीमा 13 लाख 50 हजार करोड़ रुपये से करीब 42 हजार करोड़ रुपये अधिक कृषि ऋण वितरित किया गया।
-जनवरी, 2021 तक लगभग 44,673 किसान क्रेडिट कार्ड मछुआरों और मत्स्य पालकों को उपलब्ध कराए गए।
-फसल बीमा योजना में जनवरी 2021 तक 90 हजार करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया गया। महामारी में भी 70 लाख किसानों को इस योजना का लाभ मिला।
-2018-19 तक बीते पांच वर्षो में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग क्षेत्र में औसत वार्षिक वृद्धि दर में 9.99 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।


2021-22 में खरीफ फसलों का अनुमनित उत्पादन

खाद्यान्न -मात्रा (मिलियन टन में)

चावल-107.04
पोषक/मोटे अनाज-34
मक्का-21.24
दलहन-9.45
तूर-4.43
तिलहन-23.39
मूंगफली-8.२५
सोयाबीन-12.72
कपास-36.22 मिलियन गांठें (प्रति 170 कि. ग्रा.)
गन्ना-419.२५
ये हैं योजनाएं
-प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत वर्ष 2018 के रबी सीजन में की गई थी। 6,000 रुपए प्रति वर्ष तीन किस्तों में किसानों को दिए जाते हैं।
-प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 2016 को शुरू की गई और आंधी, ओलावृष्टि और तेज बारिश जैसी प्राकृतिक आपदाओं में तैयार फसल नष्ट होने पर किसान की सहायता करती है। बुआई के पहले से फसल की कटाई के बाद तक बीमा सुरक्षा मिलती है। रबी, खरीफ के साथ कारोबारी और बागबानी फसलों को भी शामिल किया गया है।
-किसान क्रेडिट कार्ड योजना से बहुत ही आसानी से कम ब्याज पर ऋण मिल जाता है।
-प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना में किसानों को 60 वर्ष की आयु के बाद न्यूनतम 3,000 रुपए पेंशन दी जाती है। किसानों को 55 रुपए से लेकर 200 रुपये प्रतिमाह तक 60 वर्ष की आयु तक जमा करना होता है। इतना ही योगदान सरकार करती है।
-पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत किसानों को सोलर पैनल सब्सिडी पर मिलते हैं।
-पशुधन बीमा योजना के अंतर्गत दुधारू मवेशियों और भैंसों का बीमा उनके अधिकतम वर्तमान बाजार मूल्य पर किया जाता है। बीमा का प्रीमियम 50 प्रतिशत तक अनुदानित होता है।
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