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बांदा: उत्तर प्रदेश के बांदा (UP Banda) में एक शादी ने गुजरे जमाने की याद दिला दी. अपनी दुल्हन को लेने दूल्हा बैलगाड़ी पर सवार होकर पहुंचा. बुंदेलखंड में वर्षों पहले बैलगाड़ी से बारात जाने का परंपरा थी, जो अब 21वीं सदी में गुजरे जमाने की बात हो गई है. कुछ परिवार आज भी पुरानी परंपरा निभाते आ रहे हैं.
उसी क्रम में डीजल पेट्रोल की बढ़ी कीमतों को देखते हुए एक गांव की महिला प्रधान ने अपने भतीजे की शादी कर पुरानी परंपरा की याद दिला दी. दूल्हा पारंपरिक वेशभूषा में बैलगाड़ी से बारात लेकर पहुंचा. शादी में उपयोग होने वाले प्लास्टिक की बजाय देशी चीजों का इस्तेमाल किया गया. यह शादी समारोह जिले सहित आसपास के इलाके में चर्चा का विषय बना रहा.
जानकारी के अनुसार, अतर्रा तहसील क्षेत्र की महुटा गांव की प्रधान संध्या मिश्रा के भतीजे की बारात 9 मई को थी. बारात 4 किलोमीटर दूर एक गांव शिवपुरी जानी थी. इस पर महिला प्रधान ने भतीजे अंकित के साथ करीब 3 दर्जन बैलगाड़ियों से बारात दुल्हन के घर भेजी. सभी बाराती बैलगाड़ी से सवार होकर पहुंचे. बारात में कोई गाड़ी नहीं थी. शादी में प्लास्टिक का उपयोग नहीं किया गया. प्लेट, गिलास की जगह कुल्हड़ और देशी पत्तल का उपयोग किया गया. शादियों में बफर सिस्टम के नियम को दरकिनार कर जमीन में खाना-पीना कराया गया.
डीजल-पेट्रोल की बढ़ती महंगाई ने सभी की कमर तोड़ दी है. खासकर शादी के आयोजनों में लोग महंगाई की मार से जूझ रहे हैं. उसी क्रम में महुटा गांव में अनोखी शादी चर्चा का विषय रही. प्रधान संध्या मिश्रा ने बताया कि डीजल-पेट्रोल की बढ़ी कीमतों को देखते हुए बैलगाड़ी से बारात लेकर दुल्हन के घर पहुंचे.
गाड़ियों और टेंट में एक रुपये भी नहीं खर्च हुए. जो रुपये इन सभी चीजों में खर्च होने थे, उससे दुल्हन के जेवर बनवा दिए. बैलगाड़ी से बारात लेकर पहुंचने पर दोनों पक्ष बेहद खुश नजर आए. वहीं दूल्हा भी अपनी शादी को लेकर बेहद खुश है. दूल्हे अंकित ने कहा कि मेरी शादी यादगार रहेगी. हमें अपने रीति-रिवाजों को नहीं भूलना चाहिए.
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