झारखण्ड। मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी में वासेपुर में मारे गए नन्हे समर्थकों ने महिला डॉक्टर के साथ बदतमीजी की। वहां ड्यूटी कर रही महिला डॉक्टर का हाथ पकड़कर मृतक को जिंदा करने के लिए दबाव बनाया। असमर्थता जताने पर महिला डॉक्टर को जिंदा गाड़ देने की धमकी भी दी। एक अन्य महिला डॉक्टर के साथ भी बदतमीजी की गयी। घटना के बाद मामले की शिकायत लेकर मेडिकल कॉलेज के कई रेजिडेंट डॉक्टर और इंटर्न डीसी आवास पहुंचे। डीसी संदीप सिंह से मिलकर पूरी घटना की जानकारी दी। डीसी से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने और सुरक्षा की मांग की।
डॉक्टरों का कहना था कि मरीज के आते हैं उसकी जांच शुरू कर दी गई। एक महिला डॉक्टर ने उसे सीपीआर दिया। लेकिन मरीज के शरीर में कोई हलचल नहीं हुई। जांच के बात उसे मृत घोषित किया गया। इस पर उसके समर्थक आक्रोशित हो गए। महिला डॉक्टर का हाथ पकड़ कर जबरदस्ती खींचने लगे और मृतक को जिंदा करने के लिए दबाव बनाने लगे। आरोप है कि समर्थक यह कहते हुए महिला डॉक्टर को धमकी दे रहे थे कि यदि मृतक को जिंदा नहीं किया तो यही मारकर गाड़ देंगे।
समर्थकों के इस बदतमीजी के बाद महिला डॉक्टर किसी तरह वहां से भागी। इसके बाद भी समर्थक शांत नहीं हुए। वहां ड्यूटी कर रही एक अन्य महिला डॉक्टर के साथ भी बदतमीजी की। इसके बाद इमरजेंसी से सभी महिला डॉक्टर चली गई और पुरुष डॉक्टरों ने आगे की कार्रवाई की। इसी घटना को लेकर सभी लोग डीसी से मिलने उनके आवास पर पहुंचे थे। डॉक्टरों के अनुसार मृतक के समर्थक भीड़ के साथ इमरजेंसी के अंदर तक घुस आए और हंगामा किया। डॉक्टर चैंबर के पास आकर भी हो हल्ला कर रहे थे। इस हो हंगामे के कारण डॉक्टरों और कर्मचारियों को तो अपने काम करने में परेशानी हो ही रही थी इमरजेंसी में भर्ती दूसरे मरीजों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
डॉक्टरों ने डीसी से सुरक्षा की गुहार लगाई है। उनका कहना था कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल की सुरक्षा की स्थाई पुख्ता व्यवस्था की जाए। अस्पताल में तैनात होमगार्ड के जवान भीड़ पर काबू पाने में पूरी तरह लाचार दिखते हैं। डॉक्टरों के अनुसार जब भी इस तरह की घटना होती है अस्पताल में पुलिस बल तैनात करने का आश्वासन दिया जाता है। वर्षों से पुलिस पिकेट बनाने की बात चल रही है। बावजूद अभी तक इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं किया गया है।