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शराब टॉनिक है कहकर फंसे मंत्री कुलस्ते, राज्य सरकारों के लिए कोरोना काल में संजीवनी बनी लिकर

Khushboo Dhruw
7 Jun 2021 8:51 AM GMT
शराब टॉनिक है कहकर फंसे मंत्री कुलस्ते, राज्य सरकारों के लिए कोरोना काल में संजीवनी बनी लिकर
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केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते (Faggan Singh Kulaste) ने मध्य प्रदेश के मंडला में एक बड़ा विवादित बयान दे डाला

केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते (Faggan Singh Kulaste) ने मध्य प्रदेश के मंडला में एक बड़ा विवादित बयान दे डाला, उन्होंने कहा कि शराब लोगों के लिए टॉनिक है और कोरोना के समय में तो यह सबसे ज्यादा जरूरी है. यही वजह है कि शराब का सेवन करने वाले बहुत से लोग हैं. केंद्रीय राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते की बात भले ही तर्क से परे हो और इस बयान के लिए उनकी खूब किरकिरी हो रही हो, लेकिन एक बात तो सही है की शराब राज्य सरकारों की अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी बनी हुई है. जी हां सही सुना आपने क्योंकि जब कोरोना वायरस के समय में सभी उद्योग-धंधे बंद थे, जब राज्य सरकारों के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने तक का पैसा नहीं था तब यही शराब थी जिसने हफ्ते भर में राज्य सरकारों का खजाना भर दिया था. चाहे वह दिल्ली हो, यूपी हो, तेलंगाना हो, महाराष्ट्र या अन्य कोई राज्य.

शराब और उसका सेवन करने वालों ने सबका खाली खजाना भर दिया. आंकड़ों पर नजर डालें तो मालूम चलता है कि राज्य सरकारें केवल शराब पर लगाए गए टैक्स से लाखों करोड़ रुपए की कमाई करतीं हैं. साल 2019-20 की बात करें तो सभी राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों ने शराब पर एक्साइज ड्यूटी लगाकर तकरीबन 1 लाख 75 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व जुटाया था. यही आंकड़ा अगर 2018-19 में देखें तो यह करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए का था. आंकड़ों की मानें तो ज्यादातर राज्यों के कुल राजस्व का 15 से 30 फ़ीसदी हिस्सा केवल शराब की बिक्री से आता है. जबकि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की कुल राजस्व का 20 फ़ीसदी हिस्सा शराब की बिक्री से आता है.
कोरोना काल में शराब से राज्यों को कितना मिला फायदा
शराब बिक्री 2019-20 वित्त वर्ष की रिपोर्ट पर नजर डालें तो मालूम चलेगा कि उत्तर प्रदेश ने इस वर्ष 26,000 करोड़ रुपए शराब पर लगाए टैक्स से कमाए. वही तेलंगाना ने 21,500 करोड़ रुपए, कर्नाटक ने 20,948 करोड़ रुपए, पश्चिम बंगाल ने 11,874 करोड़ रुपए, राजस्थान ने 7,800 करोड़ रुपए, पंजाब ने 5,600 करोड़ रुपए का राजस्व शराब की बिक्री से हासिल किया. वहीं दिल्ली ने भी कुल 5,500 करोड़ रुपए आबकारी शुल्क से हासिल किया.
दिल्ली कोरोना के समय में एक ऐसा राज्य था जिसके पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने तक का पैसा नहीं था. इसके लिए दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार से बकायदा पत्र लिखकर अधिक सहायता राशि देने की मांग की थी. जिससे वह अपने कर्मचारियों को वेतन दे सकें. ऐसे में इन राज्यों को शराब की बिक्री ने कुछ ही दिन में इतना पैसा दे दिया कि इन की अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौटने लगी. द हिंदू में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन के दौरान बंद हुई शराब की दुकानों से सभी राज्यों को रोजाना 700 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा था.
शराब से कैसे कमाई करती है राज्य सरकारें
इसे आप ऐसे समझिए की राज्य सरकारों की कमाई के मुख्य सोर्स हैं- पेट्रोल डीजल पर लगने वाले वैट सेल्स टैक्स, स्टेट जीएसटी, लैंड रिवेन्यू और सबसे बड़ी शराब पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी. शराब पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी से राज्य सरकारों की कुल कमाई का एक बड़ा हिस्सा अर्जित होता है. राज्य में शराब ही एक ऐसी चीज है जिस पर सबसे ज्यादा एक्साइज ड्यूटी लगती है. इसका एक मुख्य कारण यह भी है क्योंकि शराब और डीजल पेट्रोल को जीएसटी से बाहर रखा गया है, इसलिए राज्य सरकारें इन चीजों पर ज्यादा टैक्स लगाकर अपना रेवेन्यू बढ़ाती हैं और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करती हैं.
पिछले साल आईपीआरएस इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकारों की सबसे ज्यादा कमाई स्टेट जीएसटी से होती है. इससे औसतन हर राज्य को 40 फ़ीसदी का रेवेन्यू आता है. उसके बाद सेल्स वैट टैक्स से लगभग 23 फ़ीसदी का और स्टेट एक्साइज ड्यूटी से 13 फ़ीसदी की कमाई होती है. इसके अलावा राज्य सरकारों को गाड़ियों और इलेक्ट्रिसिटी पर लगने वाले टैक्स से भी भारी भरकम कमाई होती है.
देश में शराब पीने वालों की संख्या क्या है
भारत एक बड़ी आबादी वाला देश है, जहां की जनसंख्या सवा सौ करोड़ से ज्यादा है. जाहिर सी बात है इतनी बड़ी जनसंख्या वाले देश में शराब पीने वालों की भी संख्या ज्यादा ही होगी. 2018 में WHO की एक रिपोर्ट आई थी. इसके मुताबिक साल 2005 में भारत में 15 साल से ऊपर हर व्यक्ति 2.4 लीटर शराब पीता था, लेकिन 2016 में यह खपत बढ़कर 5.7 मीटर हो गई. यह एक औसतन मापदंड है इसे आप देश के हर व्यक्ति से मत जोड़िए. यह डाटा तैयार करने का एक तरीका होता है जिसमें कुछ सैंपल इकट्ठा किए जाते हैं और उन सैंपलों जानकारी निकाली जाती है. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट ही बताती है कि 2016 में भारत में शराब पीने की वजह से 2.64 लाख से अधिक लोगों की जान चली गई थी. इसमें 140632 जान सिर्फ लिवर सिरोसिस से गई थी. जबकि 92000 से ज्यादा लोग सड़क हादसे में मारे गए थे और इन सब के पीछे सिर्फ और सिर्फ शराब वजह थी.
अब शराब की होम डिलीवरी के लिए भी तैयार हैं सरकारें
देश में कोरोना की दूसरी लहर के चलते ज्यादातर राज्यों में लॉकडाउन लगा हुआ है. इस वजह से लोग शराब खरीदने बाहर नहीं निकल पा रहे हैं और सरकारों की अर्थव्यवस्था खराब हो रही है. इससे बचने के लिए दिल्ली ने अब शराब की होम डिलीवरी भी शुरू कर दी है. इसके जरिए आप ऐप और वेबसाइट से शराब की बुकिंग कर उसे अपने घर पर मंगा सकते हैं. हालांकि सबसे पहले छत्तीसगढ़ ने शराब की होम डिलीवरी शुरू की थी जिसको देख कर दिल्ली ने भी यही रास्ता अपनाया है. दरअसल ऐसा करने का सुझाव सुप्रीम कोर्ट ने दिया था. सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि शराब की दुकानों के बाहर इतनी लंबी-लंबी लाइने लगती हैं इससे कोरोना नियमों की अनदेखी होती है और लोग कोरोना संक्रमित हो जाते हैं. इससे बचने के लिए सरकारों को शराब की होम डिलीवरी पर विचार करना चाहिए. महाराष्ट्र में भी शराब की होम डिलीवरी को अनुमति मिल गई है. इन राज्यों को देख कर अब बाकी के राज्यों में रहने वाले लोग भी अपने यहां शराब के होम डिलीवरी की मांग कर रहे हैं.


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