भारत

भारत में कोरोना की तीसरी लहर से प्रवासी मजदूरों का पलायन शरू

jantaserishta.com
8 Jan 2022 5:36 AM GMT
भारत में कोरोना की तीसरी लहर से प्रवासी मजदूरों का पलायन शरू
x
कोरोना की तीसरी लहर की आहत के साथ ही देश के मेट्रो सिटीज में काम करने वाले श्रमिक एकबार फिर पलायन करने लगे हैं।

भोपाल: कोरोना की तीसरी लहर की आहत के साथ ही देश के मेट्रो सिटीज में काम करने वाले श्रमिक एकबार फिर पलायन करने लगे हैं। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के प्रवासी मजदूर लगातार घर वापसी कर रहे हैं। पिछले 24 घंटे में दिल्ली से 400 से ज्यादा मजदूर ट्रेन से घर लौटे हैं। इनमें से कई परिवारों के पास पहली और दूसरी लहर की दर्दनाक यादें हैं।

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले रामपाल अहिरवार के चार बच्चे हैं। मार्च 2020 में आई कोरोना की पहली लहर की कुछ दर्दनाक यादें आज भी उनके जहन में हैं, जब अचानक हुए लॉकडाउन ने उन्हें दिल्ली में बिना काम के फंसा दिया था। ट्रांसपोर्टेशन बंद होने की वजह से वह लगातार 6 दिन अपने परिवार के साथ पैदल चलकर मध्य प्रदेश स्थित अपने गांव पहुंचे थे। राजमिस्त्री का काम करने वाले इसबार रामपाल ने कोई चांस नहीं लिया। जैसे ही दिल्ली में कोरोना मरीजों की संख्या 10,000 के पार जाने लगी, रामपाल ने वापस जाने का फैसला किया।
गुरुवार को रामपाल संपर्क क्रांति एक्सप्रेस से छतरपुर पहुंचे। उन्होंने कहा, 'मैं इस बार कोई गलती नहीं करना चाहता था। दिल्ली में वीकेंड लॉकडाउन लग चुका है और बीते कुछ दिनों से कोई काम नहीं था, इसलिए हमने घर वापस जाने का फैसला किया।' महोबा पहुंचते-पहुंचते उनके आसपास के गावों के 400 से ज्यादा गांववाले भी वापस घर पहुंच रहे थे। गौरीहार के रहने वाले श्यामलाल कुशवाह ने कहा कि वह भी अपने परिवार के साथ उसी ट्रेन से लौटे थे। दिल्ली से प्रवासी मजदूरों को लेकर शुक्रवार को तुलसी एक्सप्रेस महोबा पहुंची। मुंबई और दिल्ली से सैकड़ों और श्रमिकों के खजुराहो वापस आने की उम्मीद है।
2020 में पैदल घर लौटे थे हजारों मजदूर
2020 में कोरोना की वजह से शुरू हुए श्रमिकों के पलायन के दौरान, 7 लाख से अधिक मजदूर और करीब 5 लाख फैमिली मेंबर्स मध्य प्रदेश लौटे थे। भीषण गर्मी में सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर हजारों की संख्या में ये लोग घर पहुंचे थे। इन प्रवासियों में से अधिकतर मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के थे। बालाघाट, मंडला, डिंडोरी, शहडोल और अन्य आदिवासी जिलों के मजदूर भी अपने परिवारों के साथ पैदल ही घर की ओर निकल पड़े थे।
Next Story