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काफी कम खर्च में तैयार हो जाएगी मेट्रो नियो, उत्तराखंड सरकार ने दी हरी झंडी

Nilmani Pal
23 Feb 2022 11:42 AM GMT
काफी कम खर्च में तैयार हो जाएगी मेट्रो नियो, उत्तराखंड सरकार ने दी हरी झंडी
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उत्तराखंड (Uttarakhand) की राजधानी देहरादून (Dehradun) में रबड़ के टायरों वाली मेट्रो यानी मेट्रो नियो को चलाने का प्रस्ताव उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) ने केंद्र सरकार के पास भेज दिया है. हालांकि अब केंद्र सरकार की अंतिम मंजूरी मिलने के बाद लगभग 5 साल के बाद इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने की उम्मीद एक बार फिर से जगी है. हालांकि प्रदेश सरकार काफी लंबे समय से देहरादून में मेट्रो चलाने के लिए प्रयास कर रही है. वहीं, बीते साल मुख्य सचिव ओम प्रकाश की अध्यक्षता में हुई उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की बोर्ड बैठक में इसे हरी झंडी दिखा दी गई थी.

दरअसल, राजधानी देहरादून में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत करने के लिए साल 2016 में उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन का गठन करते हुए शीर्ष स्तर के अधिकारियों की तैनाती हो चुकी है. हालांकि अब कई दौर के मंथन और डीपीआर पर विचार करने के बाद प्रदेश सरकार ने आखिरकार नियो मेट्रो के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है. वहीं, आवास विभाग के इस प्रस्ताव को पिछले महीने विचलन से मंजूर करते हुए अंतिम मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेज दिया गया है. वहीं, सूत्रों के अनुसार प्रदेश सरकार प्रथम चरण में केंद्र सरकार के साथ 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ देहरादून के दो रूटों पर नियो मेट्रो चलाना चाहती है. जहां पर दूसरे चरण में देहरादून को मेट्रो के जरिए हरिद्वार-ऋषिकेश से जोड़ा जाएगा. वहीं, इस प्रोजेक्ट की लागत पर लगभग 1600 करोड़ रुपए खर्च आने का अनुमान जताया गया है, राज्य सरकार इसके लिए लोन लेगी. वहीं, केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद प्रदेश सरकार जमीन अधिग्रहण करने की कार्यवाही को पूरा करेगी.

बता दें कि सामान्य मेट्रो के मुकाबले मेट्रो नियो को बनाने में काफी कम खर्च आता है.अभी एक एलिवेटेड मेट्रो को बनाने में प्रति किलोमीटर का खर्च 300-350 करोड़ रुपए आता है.अंडरग्राउंड में यही लागत 600-800 करोड़ रुपए तक पहुंच जाती है,जबकि मेट्रो नियो या मेट्रो लाइट के लिए 200 करोड़ तक का ही खर्च आता है.चूंकि इसमें कम लागत आएगी, इसलिए इसमें यात्रियों को सस्ते सफर की सौगात भी मिलेगी.इसमें यात्रियों की क्षमता सामान्य मेट्रो से कम होगी, इसके लिए सड़क से अलग एक डेडिकेटेड कॉरिडोर तैयार किया जाएगा.

1 एफआरआई से रायपुर (13.9 किमी) स्टेशन : एफआरआई, आईएमए ब्लड बैंक, दून स्कूल, कनॉट प्लेस, घंटाघर, गांधी पार्क, सीएमआई, आराघर, नेहरू कॉलोनी, अपर बद्रीश कॉलोनी, अपर नत्थनपुर, ओएफडी, हाथीखाना, रायपुर

2 आईएसबीटी से गांधी पार्क (दूरी 8.5 किमी) स्टेशन : आईएसबीटी, सेवलाकला, आईटीआई, लालपुल, चमनपुरी, पथरीबाग, रेलवे स्टेशन, कोर्ट

मेट्रो रूट में फिर किया गया बदलाव

गौरतलब है कि इससे पहले आईएसबीटी रूट के ट्रैक को जाखन तक ले जाने का प्लान था. लेकिन राजपुर रोड पर जमीन अधिग्रहण में ज्यादा दिक्कतों के चलते प्रथम चरण में इस रूट को गांधी पार्क तक सीमित किया गया है.गांधी पार्क में यह ट्रैक एफआरआई-रायपुर रोड ट्रैक में मिल जाएगा.नियो मेट्रो की लागत मूल मेट्रो के मुकाबले करीब एक हजार करोड़ रुपये कम आ रही है.केंद्र सरकार भी छोटे शहरों में नियो मेट्रो बनाने पर ही जोर दे रही है.

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