
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने क्वाड के काम करने के नए तरीके को लचीला और खुले विचारों वाला बताते हुए शुक्रवार को कहा कि महत्वपूर्ण रिश्तों का भविष्य इसी रास्ते पर चलने वाला है, वे 1945-50 वाले रास्ते पर नहीं चलने वाले हैं। अपने जापानी समकक्ष योशिमासा हयाशी के साथ भारत-जापान फोरम के उद्घाटन सत्र में मीडिया को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि वह क्वाड के भविष्य को लेकर बहुत आशावादी हैं क्योंकि काम करने का नया तरीका अधिक लचीला और खुले विचारों वाला है।
जयशंकर ने कहा कि क्वाड के भविष्य के लिए मैं वास्तव में बहुत आशावादी हूं। क्वाड की हर बैठक एजेंडे पर निर्भर होती है और हमें काम करने के लिए मुद्दे देती है। हम कहां जा रहे हैं, इसके बारे में और भी कई विचार हैं। जयशंकर ने कहा कि लचीला, खुले दिमाग से काम करने का यह नया तरीका ही महत्वपूर्ण रिश्तों का भविष्य तय करेगा, वे 1945-50 जैसे गठबंधनों के साथ नहीं चलेंगे। हमने 2017 में क्वाड को फिर से शुरू किया। हर छह महीने में लोग इसे डेड बताते हैं। हर बार जब इसका पुनर्जन्म हुआ तो यह और अधिक मजबूत हुआ। उन्होंने कहा कि मुद्दे बहुत व्यावहारिक हैं।
उन्होंने कहा कि यह हमें काम करने के लिए कई और मुद्दे दे रहा है। और हर बैठक के बाद मुझे लगता है कि वास्तव में इस बारे में कई और विचार हैं कि हम कहाँ जा रहे हैं। इसलिए मैं आज इस बात से बहुत सहमत हूं कि काम करने का यह नया तरीका बहुत लचीला, बहुत खुले दिमाग वाला, बहुत अधिक लेन-देन वाला है। भारत और जापान ने 1952 में राजनयिक संबंध स्थापित किए। भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता (क्यूएसडी) का हिस्सा हैं, जिसे आमतौर पर क्वाड के रूप में जाना जाता है।
