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मेंढर: जंगल में आतंकियों के मौजूद होने की आशंका, सेना ने चलाया बड़ा तलाशी अभियान

jantaserishta.com
26 Nov 2022 3:24 AM GMT
मेंढर: जंगल में आतंकियों के मौजूद होने की आशंका, सेना ने चलाया बड़ा तलाशी अभियान
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मेंढर में पुंछ-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित भाटादूड़ियां और नाढ़खास के जंगलों में शुक्रवार को एक बार फिर अंधेरा होने के साथ ही बम धमाके और गोलियों की आवाज गूंजने लगी, जो कई किलोमीटर दूर तक सुनाई देती रही। इस बीच सेना की तरफ से जंगल एवं आसपास के क्षेत्रों में संदिग्ध हरकत पर नजर रखने के लिए रोशनी के गोले भी दागे गए, जिससे पूरा क्षेत्र रोशनी से नहा उठा।
उधर सेना की तरफ से भाटादूड़ियां से तोता गली तक के क्षेत्र में दिन भर तलाशी अभियान चलाया गया। इस दौरान सेना ने करीब आठ किलोमीटर के जंगल की घेराबंदी बरकरार रखी। वीरवार को सेना की तरफ से पुंछ-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित भाटादूड़ियां और नाढ़खास के जंगलों में तलाशी अभियान चलाया जा रहा था।
दोपहर को जंगल में संदिग्धों, आतंकियों के मौजूद होने की आशंका के चलते एहतियातन गोलाबारी के साथ ही गोलियां बरसाई गईं। उसके बाद वीरवार शाम छह बजे सेना की तरफ से पुंछ-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात बंद करने के साथ ही जंगल में भारी गोलाबारी के साथ राकेट दागने शुरू कर दिए गए।
रात भर सेना की तरफ से रुक-रुक कर जंगल में गोलीबारी जारी रखी गई। वहीं शुक्रवार सुबह आठ बजे एक बार फिर पुछ-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाया भाटादूड़ियां यातायात बहाल कर दिया गया और दिन भर सेना की तरफ से तलाशी अभियान और जंगल की घेराबंदी जारी रखी गई। इसमें सैकड़ों जवान तैनात रहे।
दिन भर क्षेत्र में खामोशी रहने के बाद अंधेरा होते ही एक बार फिर सेना की तरफ से एहतियातन क्षेत्र में अभियान में तेजी लाते हुए गोलीबारी के साथ राकेट दागने और रोशनी के गोले दागने का क्रम शुरू कर दिया गया। गौरतलब है कि इस क्षेत्र में गत वर्ष भी इसी प्रकार 22 दिनों तक सुरक्षाबलों द्वारा जंगल की घेराबंदी करने के साथ ही जमकर गोलाबारी की गई थी।
इसके चलते 22 दिनों तक पुंछ-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात पूरी तरह बंद रखा गया था। इसके चलते पुंछ, सुरनकोट एवं मंडी आने जाने वाले लोगों एवं वाहन चालकों को परेशानियों से दो चार होना पड़ा था, क्योंकि उन्हें वाया मेंढर, हरनी गुरसाई के रास्ते जड़ांवाली गली से दोबारा राष्ट्रीय राजमार्ग पर आना पड़ता था। 22 दिनों तक चले उस अभियान में भी कोई भी आतंकी मारा नहीं गया था, जबकि सेना के चार जवान शहीद हुए थे।
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