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जो सब काम मातृ शक्ति कर सकती है वह सब काम पुरुष नहीं कर सकते: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत
jantaserishta.com
5 Oct 2022 4:02 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत विजयादशमी उत्सव के मौके पर नागपुर के रेशमीबाग में संघ कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे हैं. दशहरा के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शस्त्र पूजन की परंपरा है. इस परंपरा को आज नागपुर में निभाया जा रहा है. मोहन भागवत ने संघ मुख्यालय में शस्त्र पूजन में हिस्सा लिया. इस कार्यक्रम में आज पर्वतारोही और हिमालय की चोटी पर पहुंचने वाली पद्मश्री संतोष यादव मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद हैं.
विजयादशमी उत्सव के मौके पर स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि शक्ति ही शुभ और शांति का आधार है. मोहन भागवत ने नारियों की स्थिति पर अपने संबोधन में कहा कि हम उन्हें जगतजननी मानते हैं, लेकिन उन्हें पूजाघर में बंद कर देते हैं ये ठीक नहीं है. मातृशक्ति के जागरण का कार्यक्रम अपने परिवार से प्रारंभ करना होगा, फैसला लेने में महिलाओं को भी साबित करना होगा.
मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है. हमने लंका को उसके आर्थिक संकट में मदद की. यूक्रेन में अमेरिका और रूस की लड़ाई में हमने अपने हित को सबसे आगे रखा. मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में हम लगातार सफल होते जा रहे हैं और स्वावलंबी होते जा रहे हैं. इस नवोत्थान की आहट सुनकर हम भी प्रसन्न हो रहे हैं.
मोहन भागवत ने कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों में स्वार्थ और द्वेष के आधार पर दूरियां और दुश्मनी बनाने का काम स्वतन्त्र भारत में भी चल रहा है. उनके बहकावे में न फंसते हुए,उनकी भाषा, पंथ, प्रांत, नीति कोई भी हो, उनके प्रति निर्मोही होकर निर्भयतापूर्वक उनका निषेध करना चाहिए.
जो सब काम मातृ शक्ति कर सकती है वह सब काम पुरुष नहीं कर सकते, इतनी उनकी शक्ति है और इसलिए उनको इस प्रकार प्रबुद्ध, सशक्त बनाना, उनका सशक्तिकरण करना और उनको काम करने की स्वतंत्रता देना और कार्यों में बराबरी की सहभागिता देना अहम है: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत pic.twitter.com/grVY9qb7up
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 5, 2022
मोहन भागवत ने कहा कि प्रगति के लिए जीवन में लचीलापन जरूरी है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय निर्माण के लिए बाधाओं से पार पाना जरूरी है. इसमें एक बाधा रुढ़िवादिता है. हमें नई परंपरा जो कि आधुनिक समय और राष्ट्र की जरूरतों से मेल खाती है उसे बनाने की जरूरत है. साथ ही हमें सनातन मूल्यों के प्रति भी जागरूक रहने की जरूरत है.
बता दें कि 1925 में दशहरे के दिन ही नागपुर में संघ की स्थापना हुई थी. डॉ केशव बलिराम हेडगेवार ने संघ की स्थापना की थी. इस दिन देश भर में संघ पथ संचलन कार्यक्रम का आयोजन करता है. संघ के 97 साल के इतिहास में पहली बार कोई महिला इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुई हैं. इससे पहले पुरुष ही इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होते आए हैं. लेकिन संघ ने इस बार इस परिपाटी को बदल दिया है. मोहन भागवत के साथ संतोष यादव भी शस्त्र पूजन कार्यक्रम में शामिल रहीं.
इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद हैं. नागपुर में आरएसएस के स्वयंसेवकों ने विजयादशमी उत्सव के मौके पर पथसंचलन किया. डॉ हेडगेवार स्मृति मंदिर रेशमीबाग से यह पथसंचलन शुरु हुआ और शहर के अन्य मार्ग से होता हुआ वापस रेशमीबाग पहुंचा.
संघ के कार्यक्रम में बतौर चीफ गेस्ट पहुंचीं संतोष यादव ने कहा कि उनके हाव-भाव को देखकर लोग पूछते थे कि क्या तुम संघी हो? इसका जवाब देते हुए मैं उन्हें कहती थी कि वो क्या होता है. आज किस्मत मुझे सर्वोच्च मंच पर लेकर आई है. पर्वतारोही संतोष यादव ने कहा कि एक बार जेएनयू में वह पर्यावरण पर कुछ बोल रही थीं. तभी एक छात्रा ने उनसे कहा कि हमें रामचरितमानस या गीता पढ़ने के लिए क्यों कहा जाता है. मैंने उन्हें कहा कि ऐसा तो मैंने नहीं कहा है. फिर मैंने उन्हें कहा कि आपने इन पुस्तकों को पढ़ा है? तो उन्होंने कहा कि नहीं. फिर मैंने उन्हें कहा कि बिना पढ़े आप इन पुस्तकों को लेकर द्वेष क्यों पाल रही हैं. आप इसे पढ़िए. सनातन संस्कृति सृजन की प्रेरणा देता है.
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