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IAS नियमों में बदलाव पर सांसदों, पूर्व नौकरशाहों का PM मोदी को ज्ञापन, जानें ज्ञापन में क्या लिखा?

jantaserishta.com
11 Feb 2022 2:27 AM GMT
IAS नियमों में बदलाव पर सांसदों, पूर्व नौकरशाहों का PM मोदी को ज्ञापन, जानें ज्ञापन में क्या लिखा?
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Change in IAS Rules: पांच राज्यों में चुनाव माहौल के बीच गैर-बीजेपी शासित राज्यों के कुछ सांसदों ने राज्यपालों के 'हस्तक्षेप' और आईएएस नियमों में बदलवाव पर कड़ा विरोध जताया है. 21 विपक्षी दलों के सांसदों (Opposition Party MP) और 38 सेवानिवृत्त नौकरशाहों (Retired Bureaucrats) ने गुरुवार को गैर-बीजेपी शासित राज्यों में राज्यपालों की भूमिका और आईएएस नियमों (IAS Cadre Rules) में बदलाव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को एक संयुक्त ज्ञापन भेजा है.

सांसदों ने अखिल भारतीय सेवा कैडर नियमों को बदलने के केंद्र के प्रस्ताव और विपक्ष शासित राज्यों में राज्यपालों द्वारा कथित हस्तक्षेप का जिक्र किया. केंद्र सरकार की कार्रवाई को लोकतंत्र और संघीय शासन के खिलाफ बताते हुए उन्होंने आरोप लगाया, 'ये पूरी तरह से असंवैधानिक हैं और अवांछित संकट पैदा कर सकते हैं.'
ज्ञापन में क्या लिखा
संयुक्त ज्ञापन में सांसदों और पूर्व नौकरशाहों ने कहा, ''इन संशोधनों को राज्यों को अपने अधीन करने के लिए तैयार किया गया है और हम सामूहिक रूप से केंद्रीय पदस्थापना और तबादलों के माध्यम से भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) पर पूर्ण नियंत्रण के केंद्र के कदम का विरोध करते हैं. हम केंद्र को किसी भी एकतरफा कदम के खिलाफ आगाह करते हैं और यह स्पष्ट करते हैं कि राज्य इस असंवैधानिक शक्तियों के हड़पने के लिए सहमत नहीं होंगे, भले ही इसे मुख्यमंत्रियों और राज्यों के वैध विरोध के बावजूद थोप दिया जाए.''
विशेष रूप से गैर-बीजेपी दलों द्वारा शासित कुछ राज्य IAS नियमों में बदलाव का कड़ा विरोध कर रहे हैं और कई मुख्यमंत्रियों ने पूर्व में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था. सांसदों का दूसरा मुद्दा ''विपक्ष शासित राज्यों में निर्वाचित सरकारों के कामकाज में राज्यपालों के निरंतर हस्तक्षेप'' से संबंधित है. उन्होंने कहा कि वे अपनी सहमति व्यक्त करने के लिए एक साथ आए हैं और मांग करते हैं कि राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों पर केंद्र के दखल को तुरंत रोका जाए. जिन मामलों में निश्चित रूप से केंद्र के परामर्श की आवश्यकता होती है, उन पर एकतरफा आदेश जारी करने के बजाय राज्यों के साथ चर्चा की जानी चाहिए.
सांसदों ने बंगाल में राज्यपाल के हस्तक्षेप का दिया उदाहरण
सांसदों और पूर्व नौकरशाहों ने यह भी आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में राज्यपाल चुनी गई सरकार को नीचा दिखाने और उसकी आलोचना करने के लिए दिन में कई बार सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं. साथ ही मुख्यमंत्री, मंत्रियों और वरिष्ठ नौकरशाहों के काम में ''हस्तक्षेप'' करते हैं. ज्ञापन में कहा गया है, ''हम केंद्र द्वारा नियुक्त इन राज्यपालों के अलोकतांत्रिक और संघीय ढांचे के खिलाफ इस निंदनीय आचरण की निंदा करते हैं.''
ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले 21 सांसदों में तिरुचि शिवा (डीएमके), मनोज कुमार झा (आरजेडी), जयराम रमेश (कांग्रेस), के केशव राव (टीआरएस), संजय राउत (शिवसेना), जवाहर सरकार (तृणमूल कांग्रेस), बिनॉय विश्वम (भाकपा), संजय सिंह (आप), अब्दुल वहाब (आईयूएमएल), सुखराम सिंह यादव (सपा), सुखेंदु शेखर रे (तृणमूल कांग्रेस), अनिल देसाई (शिवसेना), अमी याज्ञनिक (कांग्रेस) समेत अन्य शामिल हैं. ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले 38 पूर्व नौकरशाहों में वजाहत हबीबुल्लाह, के पी फैबियन, अमिताभ पांडे, एमजी देवसहायम, सुरेंद्र नाथ समेत अन्य नाम शामिल हैं.

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