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ग्लेशियर पिघलने से झीलों में पानी का स्तर बढ़ा, नदियों के किनारे बसे लोगों पर बाढ़ का खतरा

Deepa Sahu
3 May 2021 10:24 AM GMT
ग्लेशियर पिघलने से झीलों में पानी का स्तर बढ़ा, नदियों के किनारे बसे लोगों पर बाढ़ का खतरा
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ग्लोबल वार्मिंग के चलते तेजी से ग्लेशियर पिछले रहे हैं।

ग्लोबल वार्मिंग के चलते तेजी से ग्लेशियर पिछले रहे हैं। हिमालय में तेजी से पिघलते ग्लेशियर की वजह से लगातार झीलों की संख्या और उनमें पानी का स्तर बढ़ रहा है। इतना ही नहीं ये झीलें अपना आकार भी बढ़ा रही हैं, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। सबसे ज्यादा खतरा उन इलाकों को है, जो नदियों के मुहानों पर बसे हुए हैं।

हाल ही में ब्रिटेन, ऑस्ट्रिया और पेरू समेत दुनिया भर की विभिन्न यूनिवर्सिटीज के वैज्ञानिकों ने एक गहन अध्ययन के आधार पर यह चेतावनी दी है। वैज्ञानिकों ने नेपाल, चीन और भारत में भी एक बड़ी आबादी को इन झीलों से पैदा होने वाली बाढ़ के खतरे से आगाह किया गया है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, 30 साल में दुनिया भर में ऐसी झीलों की संख्या 50 फीसदी तक बढ़ गई है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने रिमोट सेंसिंग और सैटेलाइट के जरिये तीन देशों - भारत, नेपाल और में ऐसी करीब 3,624 ग्लेशियल लेक्स यानी ग्लेशियर पिघलने से बनने वाली झीलों का पता लगाया है।
इन तीन देशों में सबसे अधिक झीलें
ग्लेशियर पिघलने बनी झीलों की सबसे अधिक संख्या नेपाल में 2,070 हैं, जो कोशी, गंडकी और कर्णाली नदी बेसिन के पास बसी आबादी के लिए बड़ा खतरा बन सकती हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर चीन में ऐसी 1,509 झीलें हैं। जबकि भारत में 45 झीलों का पता लगाया गया है। चीन और भारत में ये झीलें तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में बनी हुई हैं।
बेहद खतरनाक हैं झीलें, कभी भी मचा सकती हैं तबाही
ब्रिटेन स्थित एक्सटर यूनिवर्सिटी में क्लाइमेट चेंज के विशेषज्ञ प्रो. स्टीफन हैरिसन ने बताया कि कुछ झीलें बेहद खतरनाक स्तर पर हैं, जिनका अंदाजा लगाना कठिन है। ये कभी भी फूट सकती हैं और बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकती हैं। एडीज और हिमालय पर्वत श्रृंखला में इसका खतरा ज्यादा है।


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