प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मीटिंग के बाद पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने फिर अनुच्छेद 370 का मुद्दा उठाया है. उन्होंने कहा है कि सरकार द्वारा गैरकानूनी तरीके से 370 हटाया गया था. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया है कि सरकार को पाकिस्तान से बात करनी चाहिए है. वे मानती हैं कि पाकिस्तान से जब बातचीत होती है, तो कश्मीरियों को भी सुकून मिलता है. महबूबा का जो स्टैंड मीटिंग से पहले रहा, उन्होंने वहीं स्टैंड मीटिंग के बाद भी कायम रखा. मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने गैरकानूनी तरीके से 370 हटाया है. उस समय किसी भी जनप्रतिनिधि से बात नहीं की गई, सिर्फ एक ही झटके में जम्मू-कश्मीर से उसकी ताकत छीन ली गई. वे कहती हैं- 5 अगस्त 2019 के बाद से राज्य के लोग परेशान है, ख़ुद को शोषित महसूस कर रहे है. आर्टिकल 370 हमारे रोजगार , ज़मीन के अधिकार को सुनिश्चित करता है,उससे कोई समझौता हमे मंजूर नहीं है. हम लोकतांत्रिक तरीके से, शांतिपूर्ण तरीक़े से अपना विरोध करते रहेंगे.
महबूबा ये जरूर कहा कि मीटिंग अच्छे माहौल में हुई और सभी की बात भी सुनी गई. उन्होंने जोर देकर कहा कि बातचीत के जरिए ही मसले हल हो सकते हैं. उनकी नजरों में जब पाकिस्तान से बात कर सीजफायर लग सकता है तो दूसरे मुद्दों पर बातचीत होनी चाहिए. इसी संदर्भ वे कह गईं कि पाकिस्तान से बातचीत कर कश्मीरियों को सुकून मिलता है. उस मीटिंग में महबूबा ने गुलाम नबी आजाद की तरह रोजगार का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि स्थानीय कश्मीरियों को रोजगार की गारंटी रहे, ये बहुत जरूरी है. वे मानती हैं कि 370 हटने के बाद से कश्मीरियों का काफी नुकसान हो गया है. अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है, कई बिजनेस ठप हुए हैं. ऐसे में वे मांग कर रही हैं कि अब केंद्र रोजगार की गारंटी दे.
वैसे एक बार फिर महबूबा ने कैदियों को जेल से छोड़ने की बात भी कर दी है. जो बात उन्होंने मीटिंग से पहले कही थी, वहीं मुद्दा वे बैठक में उठाकर आई हैं. उन्होंने कहा है कि जिन्हें अगस्त 2019 के बाद से गिरफ्तार किया गया है, उनकी रिहाई होनी चाहिए. वे इतना जरूर कह गई हैं कि जिन आरोपियों पर ज्यादा गंभीर आरोप नहीं हैं,उन्हें रिहा करना चाहिए लेकिन मांग उनकी वहीं पुरानी रही है.