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कांग्रेस चिंतन शिविर में बन रहा मेगा प्लान, हो सकते हैं ये फैसले
jantaserishta.com
15 May 2022 9:39 AM GMT
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उदयपुर: राजस्थान के उदयपुर में चल रहे चिंतन शिविर के जरिए कांग्रेस पार्टी भविष्य की रणनीति का खाका तैयार करने में जुटी है. बताया जा रहा है कि इस चिंतन शिविर में लोकसभा चुनाव-2024 को लेकर अहम फैसले किए जा सकते हैं.
कांग्रेस के संगठन समूह के प्रस्ताव के मुताबिक, एक परिवार-एक टिकट के फैसले को लचीला बनाया गया है. सदस्यों की मांग के बावजूद गांधी परिवार को देखते हुए नियमों में ढील दी जाएगी. ऐसे में अब एक परिवार से दो व्यक्ति को टिकट मिल सकते हैं, लेकिन उसके लिए उन्हें संगठन में 5 साल काम करना अनिवार्य होगा.
LIVE: Concluding session of the 'Nav Sankalp Shivir', Udaipur.#NavSankalpShivir https://t.co/UxA2GB2xpg
— Congress (@INCIndia) May 15, 2022
संगठन में किसी भी पद पर 5 साल रहने के बाद तभी कोई पद मिलेगा जब वो 3 साल का कूलिंग पीरियड तय कर लेगा. इसके अलावा कांग्रेस अब बहुसंख्यक आबादी को टारगेट करने के लिए सॉफ्ट हिंदुत्व की विचारधारा पर आगे बढ़ेगी. यानी पार्टी का नेतृत्व सार्वजनिक रूप से अपनी नीतियों और कार्यक्रम में सॉफ्ट हिंदुत्व का मुद्दा प्रमुखता से रखेगा.
बताया जा रहा है कि आरक्षण से दूरी बनाने वाली कांग्रेस अब आरक्षण का सहारा लेगी. पार्टी की नजर ओबीसी, दलित, अल्पसंख्यक और महिलाओं को आगे लाने पर होगी. पार्टी संगठन में इन लोगों को अब 50 % रिजर्वेशन दिया जाएगा.
महिला आरक्षण पर पार्टी अपनी विचारधारा में बड़ा बदलाव कर सकती है. पार्टी अब महिला आरक्षण के मसले पर आरक्षण के लिए तैयार है. वहीं, पार्टी में अब पिछड़ों के लिए अलग एडवाइजरी कमेटी बनाई जाएगी, जो देशभर से डाटा जमा कर उनके मुताबिक नीति बनाने का काम करेगी. इसके अलावा दलित आदिवासी अल्पसंख्यक और महिलाओं के मुद्दे पर अब हर छह महीने में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाई जाएगी.
राजनीतिक प्रस्ताव में ये हो सकते हैं फैसले
- संविधान के मूलभूत सिद्धांतों की रक्षा और बीजेपी और आरएसएस के एजेंडे से देश को बचाने के लिए गांधी-नेहरू-अंबेडकर के सिद्धांतों पर आगे बढ़ना होगा.
- पूर्वोत्तर के राज्यों की सांस्कृतिक विरासत और राजनीतिक और भौगोलिक स्वायत्तता को बचाने के लिए अलग से रोडमैप होगा.
- चीन द्वारा लगातार हो रहे घुसपैठ और अतिक्रमण पर मोदी सरकार के ढुलमुल रवैया और सच छुपाने की कोशिशों को उजागर करना, सरकार से चीन के घुसपैठ पर श्वेत पत्र की मांग पर फैसला हो सकता है.
-EVM को लेकर लगातार राजनीतिक दलों और जनप्रतिनिधियों की शंका के निवारण के लिए चुनाव आयोग को कदम उठाने की सलाह.
- संवैधानिक संस्था जैसे सीबीआई, ईडी के दुरुपयोग और न्यायपालिका पर लोगों के घटते अविश्वास पर चिंता जाहिर किया जाएगा.
बता दें कि इस चिंतन शिविर में राजनीति, सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण, अर्थव्यवस्था, संगठन, किसान एवं कृषि और युवाओं से जुड़े विषयों पर छह अलग-अलग समूहों में 430 नेता चर्चा कर रहे हैं. हर समूह में करीब 70 नेता शामिल हैं. तीन दिनों के मंथन की पूरी कवायद देश में खोए जनाधार को वापस पाने की है, लेकिन कांग्रेस जनता के भरोसे को कैसे जीत पाती है, ये आगे पता चलेगा.
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