एमसीडी चुनावों में इस बार भी हमारी जीत का परचम लहराएगा : हर्ष मल्होत्रा
नई दिल्ली। इस साल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में होने वाले नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव को लेकर भाजपा ने कमर कस लिया है। आम आदमी पार्टी के साथ उसके कड़े मुकाबले के आसार हैं। भाजपा की कोशिश है कि वह 2007 से नगर निकाय पर अपनी सत्ता बरकरार रख पाए। दिलचस्प बात यह है कि नागरिक मोर्चे पर शासन करने के बावजूद, भगवा पार्टी 1998 से राष्ट्रीय राजधानी में सरकार बनाने में असमर्थ रही है। एमसीडी चुनावों के लिए पार्टी के एजेंडे में क्या है, यह जानने के लिए जब 'जनता से रिश्ता' ने प्रदेश भाजपा के महामंत्री हर्ष मल्होत्रा से विशेष बातचीत की तो उन्होंने बताया कि पार्टी के लिए चिंता की कोई बात नहीं है और उनकी पार्टी इस बार भी एमसीडी चुनावों में अपनी जीत का परचम लहरायेगी।
प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के कुछ महत्वपूर्ण अंश...
अगर एमसीडी को 2012 से पहले के स्वरूप में बहाल कर दिया जाता है, तो उनके सभी वित्तीय मुद्दे हल हो जाएंगे। क्या आप भी ऐसा ही सोचते हैं?
मल्होत्रा : मुझे नहीं लगता कि नगर निकायों का एकीकरण इस समस्या का समाधान है, क्योंकि निगम का तीन भागों में बंटवारा इसे बेहतर ढंग से चलाने के लिए किया गया था। दिल्ली नगर निगम एक धर्मार्थ संगठन की तरह है, जो उन लोगों के स्वास्थ्य और शिक्षा से संबंधित मुद्दों को देखता है, जो इन बुनियादी सुविधाओं को स्वयं वहन नहीं कर सकते हैं।
इसलिए, निगम को दिल्ली सरकार की सहायता एमसीडी के उचित कामकाज का अभिन्न अंग है, लेकिन दुर्भाग्य से, आज नगर निगम (नगर परिषद) को एक राजनीतिक हथकंडे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है और इसे वह सभी सहायता नहीं मिल रही है, जिसकी उसे आवश्यकता है।
कोविड-19 के बाद एमसीडी में क्या बदलाव देखने को मिले हैं?
मल्होत्रा : महामारी के दौरान एमसीडी की अपनी चुनौतियां थीं, लेकिन नगरसेवकों ने उन बाधाओं से परे देखा और शहर के सुचारु कामकाज के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ काम करते रहे। तो एक तरह से इस मुश्किल घड़ी ने एमसीडी और भाजपा दोनों को दिल्ली की जनता की सेवा करने का मौका दिया।
अगर भाजपा चौथी बार एमसीडी चुनाव जीतती है, तो पार्टी की सर्वोच्च प्राथमिकता कौन से मुद्दे होंगे?
मल्होत्रा : दिल्ली में कचरे और उसके प्रबंधन की एक बड़ी समस्या है, तो यह हमारा मुख्य फोकस होगा। नगर निगम के स्कूलों और अस्पतालों के समुचित संचालन को सुनिश्चित करने के अलावा, हम शहर से डेंगू को जड़ से खत्म करने के लिए भी कदम उठाएंगे।
पिछले कुछ वर्षों में, हमने 300 से अधिक कचरा संग्रह केंद्र को बंद कर दिया है, जो खुले में हुआ करते थे, जिससे और भी अधिक गंदगी और बीमारियां होती थीं और उनके स्थान पर कम्पेक्टर लगाए गए थे। इन कम्पेक्टरों से कचरा प्रसंस्करण इकाई में जाता है। इस कदम से राजधानी में सफाई के स्तर में सुधार आया है। इसी तरह नगर निगम के स्कूलों और अस्पतालों की स्थिति में भी सुधार हुआ है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा कि राष्ट्रीय राजधानी नागरिक मोर्चे पर विफल रही है, क्योंकि डेंगू के मामले फिर से बढ़ रहे हैं। इस पर क्या कहना चाहते हैं?
मल्होत्रा : पिछले कुछ सालों की तुलना में दिल्ली में डेंगू के मामले वास्तव में कम हुए हैं। एमसीडी मच्छरों के प्रजनन का सफाया करने के लिए क्षेत्रों की जांच और फ्यूमिगेटिंग भी कर रही है। वायरल संक्रमण अभी भी नियंत्रण में है।